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संकट का बीजारोपण जब कि पुत्र ही ऐसे हैं तो,
पिता न जाने क्या होगा ? वह तो सचमुच कामदेव ही,
मानव - तनु - धारी होगा ॥ रंभा ! अगर जानती है,
तो बता कौन यह नारी है ? और फूल से इन पुत्रों का,
कौन पिता सुखकारी है ॥" दासी रंभा बड़े गर्व से
बोली "क्यों न जानती हूँ ? चम्पा-वासी सेठों को मैं, ...
भली - भाँति पहचानती हूँ ॥ विज्ञ सुदर्शन सेठ हमारा,
नगर - सेठ कहलाता है । चम्पापुर का जो कि दूसरा,
राजा माना जाता है । वैभव का कुछ पार नहीं,
दिन रात वित्त का नद बहता । दीनबन्धु है, पर उपकारी,
पर-दुख में ही दुख सहता ॥ कहूँ रूप के वर्णन में क्या,
सुन्दरता का पुतला है । मेरी आँखों से तो अब तक,
रूप न ऐसा निकला है ॥ जैन धर्म का पालन,
करने वाला दृढ़ विश्वासी है।
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