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संकट का बीजारोपण
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स्वीकृत प्रण की मर्यादा को,
सेठ अखण्ड बचाएगा । अखिल जगत में सत्य सुयश का,
दुन्दुभि - नाद बजाएगा ॥
शीतानन्तर ठाट-बाठ से ऋतु,
वसन्त फिर आया मन्द सुगन्धित मलय पवन भी
मादकता भर लाया है ॥ वन-उपवन के सभी द्रुमों पर,
गहरी हरियाली छाई । रम्य हरित परिधान पहनकर,
प्रकृति सुन्दरी मुसकाई ॥ रंग-बिरंगे पुष्पों से तरु,
लता सभी आच्छादित हैं । भ्रमर-निकर झंकार रहे,
वन, उपवन सभी सुगन्धित हैं । कोकिल-कुल स्वच्छन्द रूप से,
आम्र - मंजरी खाते हैं। जन-मन-मोहक मादक पंचम,
राग मधुर-स्वर गाते हैं। अखिल सृष्टि के कण-कण में,
नव यौवन का रंग छाया है । और साथ ही जन-हितकारी,
भव्य प्रेरणा लाया है।
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