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________________ संकट का बीजारोपण - - स्वीकृत प्रण की मर्यादा को, सेठ अखण्ड बचाएगा । अखिल जगत में सत्य सुयश का, दुन्दुभि - नाद बजाएगा ॥ शीतानन्तर ठाट-बाठ से ऋतु, वसन्त फिर आया मन्द सुगन्धित मलय पवन भी मादकता भर लाया है ॥ वन-उपवन के सभी द्रुमों पर, गहरी हरियाली छाई । रम्य हरित परिधान पहनकर, प्रकृति सुन्दरी मुसकाई ॥ रंग-बिरंगे पुष्पों से तरु, लता सभी आच्छादित हैं । भ्रमर-निकर झंकार रहे, वन, उपवन सभी सुगन्धित हैं । कोकिल-कुल स्वच्छन्द रूप से, आम्र - मंजरी खाते हैं। जन-मन-मोहक मादक पंचम, राग मधुर-स्वर गाते हैं। अखिल सृष्टि के कण-कण में, नव यौवन का रंग छाया है । और साथ ही जन-हितकारी, भव्य प्रेरणा लाया है। २४ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001218
Book TitleDharmavir Sudarshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni
PublisherSanmati Gyan Pith Agra
Publication Year1995
Total Pages200
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size7 MB
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