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धर्म-वीर सुदर्शन अवसर मिलने पर पाजी को,
कारागृह दिखलाऊँगा ॥" कर प्रणाम राज को दोनों.
मित्र सहर्षित चले तुरंत । राजनीति में उलट-फेर की,
___बातें नाना भाँति करंत ॥ राजा भी महलों में पहुँचा,
क्रूर, कुटिल अति ही क्रोधान्ध । दैव-दोष से बन जाते हैं,
चतुर विचक्षण भी प्रज्ञान्ध ॥
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