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धर्म-वीर सुदर्शन
देव जन्म के क्या-क्या कारण, गौतम को
सती सुभद्रा के सतीत्व की, चंपा में
कच्चा सूत बाँध छलनी से, नीर कूप से
समझाए
महिमा छाई ।
भर लाई ॥
चन्दन बाला के चरित्र की,
अति ही अद्भुत शैली है । जिसकी शील - सुरभि आज भी, विश्व - गगन में
फैली
चंपा में गुरु शिष्य सुधर्मा, जम्बू के नानाविध आगम चर्चा के, प्रश्नोत्तर साह्लाद
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थे ॥
कामदेव से श्रावक - पुंगव, यहीं विश्व-विख्यात सुर कृत अग्नि परीक्षा में जो, स्वर्ण-सदृश
अवदात
संवाद हुए ।
हुए ॥
है ॥
सदाचार के अमित रत्नमणि,
चंपा में उद्भूत हुए । एक-दूसरे से बढ़-चढ़कर,
चंपा के दिव्य सपूत हुए ॥
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हुए ।
हुए ॥
चंपा की मणि-माला में,
इक रत्न और जुड़ जाता है । वीर - 'सुदर्शन' सेठ अलौकिक, अपनी
चमक
दिखाता है ॥
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