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________________ कवि और कृतित्व ग्रन्थ पढ़ने एवं चिन्तन करने योग्य हैं । दोनों ग्रन्थ साधक जीवन के आधारभूत ग्रन्थ कहे जा सकते हैं । प्रवचन साहित्य १. उपासक आनन्द ६. अमर-भारती २. अहिंसा-दर्शन १०. प्रकाश की ओर ३. सत्य-दर्शन ११. साधना के मूल-मन्त्र ४. अस्तेय-दर्शन १२. पञ्च-शील ५. ब्रह्मचर्य-दर्शन १३. पर्युषण-प्रवचन ६. अपरिग्रह-दर्शन १४. अध्यात्म-प्रवचन-१, २, ३ ७. जीवन की पाँखें १५. जीवन दर्शन ८. विचारों के नये मोड़ १६. सात वारों से क्या सीखें ? अन्य भी प्रवचन ग्रन्थ हैं, जो अभी अप्रकाशित हैं । समय-समय पर विभिन्न स्थानों एवं विभिन्न वर्षा-वासों तथा विभिन्न प्रसंगों पर दिये गये प्रवचनों का प्रस्तुत पुस्तकों में संकलन है । गुरुदेव उपाध्याय श्री की पीयूषवर्षी दिव्य देशना में व्यक्तिगत, सामाजिक, पारिवारिक, नैतिक, राष्ट्रीय, आध्यात्मिक एवं धार्मिक जीवन के सभी पक्षों को उजागर करने वाले विचार हैं । गृहस्थ एवं संन्यस्त दोनों जीवन की साधना के लिए प्रवचन-साहित्य उपयोगी है, आज उसकी निरन्तर माँग बढ़ती जा रही है । उसकी लोकप्रियता में कमी नहीं । १. महावीर : सिद्धान्त और उपदेश; और २. विश्व-ज्योति महावीर; दोनों पुस्तकें भगवान महावीर से संबद्ध हैं । प्रथम पुस्तक में महाश्रमण महावीर के जीवन की अपेक्षा उनके सिद्धान्त एवं दिव्य-देशना (उपदेश) का सुन्दर विवेचन प्रस्तुत किया है । अन्त में भगवान के मूल वचन भी हैं। द्वितीय पुस्तक में आध्यात्मिक दृष्टि से अनन्त ज्योतिर्मय महावीर का विश्लेषणात्मक विवेचन है । यह पुस्तक छोटी होती हुए भी अपने आप में अनूठी निशीथ चूर्णि · कवि श्री जी ने अनेक ग्रन्थों एवं आगमों का सम्पादन किया है, उनमें महत्त्वपूर्ण हैं—“निशीथ-चूर्णि" । यह विशालकाय आगम चार खण्डों में परिसमाप्त हुआ है । आचार-साधना के लिए निशीथ का महत्त्वपूर्ण स्थान है । मूल आगम सूत्र रूप में है । चूर्णि, भाष्य एवं नियुक्ति में मूल सूत्रों के भावों का विस्तृत विवेचन है । साधना की धारा किस प्रकार बहे और बहते-बहते कभी स्खलित हो जाये, तो उसे (१४) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001218
Book TitleDharmavir Sudarshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni
PublisherSanmati Gyan Pith Agra
Publication Year1995
Total Pages200
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size7 MB
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