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________________ कवि और कृतित्व अभिव्यंजना सब कुछ अनुपम, अनुत्तर एवं अद्वितीय है । आपकी लेखनी से प्रसूत साहित्य हैपद्य गीत पद्य कविता १. अमर पद्य मुक्तावलि १. कविता कुञ्ज २. अमर पुष्पाञ्जलि २. अमर माधुरी ३. अमर कुसुमाञ्जलि ३. श्रद्धाञ्जलि ४. अमर गीताञ्जलि ४. चिन्तन के मुक्त स्वर ५. संगीतिका ५. अमर मुक्तक प्रस्तुत गीतों एवं कविताओं में सामाजिक, राष्ट्रीय, धार्मिक तथा भक्ति-प्रधान गीत एवं कविताएँ हैं । आजादी के समय लिखे गये राष्ट्रीय गीतों ने देश के जन-मानस को प्रबुद्ध किया था, और आज भी वे गीत जन-जीवन में राष्ट्रीय भावों, भक्ति एवं धर्म चेतना को जागृत कर रहे हैं । यहाँ पर कविजी सन्त कबीर की भाँति सुधारक हैं । पद्य काव्य १. धर्म-वीर सुदर्शन २. सत्य हरिश्चन्द्र ३. जगद्गुरु महावीर ४. जिनेन्द्र स्तुति साधना. के पथ पर गति-शील प्रबुद्ध पुरुषों के जीवन का यथार्थ चित्रांकन किया गया है, इन काव्यों में । स्तोत्र-साहित्य १. भक्तामर, २. कल्याण मन्दिर, ३. वीर स्तुति, ४. महावीराष्टक का हिन्दी अनुवाद भी महत्त्वपूर्ण है । निबन्ध-साहित्य १. आदर्श कन्या-नारी का जीवन कैसा होना चाहिए । इसके लिए सही दिशा-दर्शन मिलता है, प्रस्तुत पुस्तक में । आदर्श नारी-जीवन का चित्रण किया गया है । २. जैनत्व की झाँकी प्रस्तुत पुस्तक में सैद्धान्तिक दृष्टि से जैन धर्म का संक्षेप में सांगोपांग विवेचन है । धर्म और दर्शन का समन्वय उपलब्ध है । ३. उत्सर्ग एवं अपवाद मार्ग-जीवन, जीवन है । भले ही वह महान् साधक का भी क्यों न हो । अतः सदा काल एवं सर्वत्र एक-सा आचार-पथ नहीं रहता । देश-काल एवं परिस्थितियों के अनुरूप आचार का मार्ग परिवर्तित होता रहता है । - - (१२) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001218
Book TitleDharmavir Sudarshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni
PublisherSanmati Gyan Pith Agra
Publication Year1995
Total Pages200
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size7 MB
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