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धर्म-वीर सुदर्शन राजसभा में और बहुत से,
भी तो हैं ये अधिकारी । कोई भी कुछ नहीं बोलता,
तेरी है बक-बक जारी ॥
खाई
है ।
साफ जान पड़ता है तूने,
इससे रिश्वत आँखों के गुप्त इशारों से ही,
खूब रकम
ठहराई
है।
बोलेगा ।
अगर और कुछ अनघड़ बातें,
मुझ से आगे साफ-साफ कहता हूँ नाहक,
अपना जीवन खो
देगा ॥"
आस-पास से 'पागल है,
पागल है', की ध्वनि गूंज उठी । जी हुजूर अधिकारी दल की,
___टोली हँसकर गरज उठी ॥
"बेवकूफ है, जाहिल है,
जो नरपति के मुँह लगता है । शेखी में आ बिना बात ही,
न्याय-कार्य में अड़ता है ॥
अपराधी को दंडित करना,
राजा की दृढ़ नीती है । नहीं नजर आती हमको तो,
इसमें कुछ अनरीती है ॥
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