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106. ध्यानशतक, गाथा 68 107. ध्यानशतक, गाथा 42 108. ध्यानशतक, गाथा 78 से 83; आवश्यकचूर्णि, पृष्ठ 86 109. '......आलंबणमेगत्तवितक्कमवियारं.....' ध्यानशतक, गाथा 81; '...... सुहुमकिरियाऽनियट्टि
तइयं तणुकायकिरियस्स', वही, 82; '....वोच्छि-त्रकिरिय', ध्यानशतक, गाथा, 83 110. 'वितर्कविचारानन्दास्मितानुरूपागमात् सम्प्रज्ञातः' योगसूत्र, I/17; 'तत्र शब्दार्थज्ञानविकल्पैः
संकीर्णा सवितर्का समापत्तिः' योगसूत्र, 1/42; 'स्मृति-परिशुद्धौ स्वरूपशून्येवार्थमात्रनिर्भासा निर्वितर्का', योगसूत्र, I/43; 'एतयैव सविचारा निर्विचारा च सूक्ष्मविषया व्याख्याता', योगसूत्र,
I/44 111. आवश्यकनियुक्ति प्रतिक्रमण, दस-समण-धम्म, गाथा 1064, पृष्ठ 5 112. स्थानाङ्गसूत्र, 4.1.247 113. तत्त्वार्थसूत्र, 9.39 114. भगवतीसूत्र, 25.7.803-804 115. योगसूत्र, I/33 116. आचाराङ्गसूत्र II/5/770-771 117. ध्यानशतक, गाथा 88-89 118. (क) 'झाणोवरमे वि मुणी' ध्यानशतक, गाथा 66;
(ख) 'ध्यानोपरमकालभाविन्योऽनित्यत्वादि....' हरिभद्रटीका, ध्यानशतक, 29; (ग) 'अणुप्पेहा त्ति धर्मध्यानस्य पश्चात् प्रेक्षणानि' अभयदेव, भगवतीसूत्र, पृष्ठ 926; (घ) अभयदेव, स्थानाङ्गसूत्र, 4.1.247, पृष्ठ 190
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