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84. ध्यानशतक, गाथा, 88 85. (क) '.......णिच्चमणिच्चाइभावणापरमो.......' ध्यानशतक, 65
(ख) 'सुक्कज्झाणसुभावियचित्तो चिंतेइ झाणविरमेऽवि।
णिययमणुप्पेहाओ चत्तारि चरित्तसंपन्नो।।' ध्यानशतक, 87 86. मूलाचार, अ. 8, गाथा 74 87. मूलाराधना, गाथा 1715 से 1875 88. बारसाणुवेक्खा, गाथा 1 से 91 89. औपपातिकसूत्र, 30; भगवतीसूत्र, 25.7.803-804; स्थानाङ्गसूत्र, 4.1.247;
आवश्यकचूर्णि, पृष्ठ 84-87, ध्यानशतक, गाथा 65, 87-88 90. महानिशीथ, 3.xiii 91. तत्त्वार्थसूत्र, 917 92. 'वनेइ भावणाओ बारसिमो बारसंगविऊ.....'
मरण समाधि, गाथा 570-639 (चतुःशरणादिमरणसमाध्यन्तं प्रकीर्णकदशकं, श्रीआगमोदय
समिति, मुम्बई, 1927, पृष्ठ- 135 93. (क) भगवती सूत्र, 9.33.383; ज्ञाताधर्मकथा, 1.1.28; दशवैकालिक, 10.21;
उत्तराध्ययन, 19.12, 15, 44 (संसार-भावना) (ख) तण्डुलवेयालिय, गाथा 84, 93-94 आदि में अशुचि का निरूपण है। 94. 'अनुप्रेक्षा' ग्रन्थार्थयोरेव मनसाभ्यास: भाष्यतत्त्वार्थसूत्र, 9/25; 'स्वाध्याय' उत्तराध्ययन,
29.18-23; आचाराङ्ग, II/1.1.4.348; औपपातिक, 30 IV; उत्तराध्ययन 30.34,
भगवतीसूत्र, 25.7801, स्थानाङ्ग, 5.3.541; मूलाचार 5.196; तत्वार्थसूत्र, 9125 95. 'स्वाध्यायद्योगमासीत योगात्स्वाध्यायमासते ।
स्वाध्याययोगसंपत्या परमात्मा प्रकाशते।।' योगसूत्र I/28 पर व्यासभाष्य, पातञ्जल योगसूत्र,
पृष्ठ 84 96. 'तपः स्वाध्यायेश्वरप्रणिधानानि क्रियायोगः' योगसूत्र, II/1 97. 'ऋतं च स्वाध्यायप्रवचने च। सायं च..... । तपश्च...... ..... स्वाध्याय प्रवचने एवेति
नाको....।' तैत्तिरीय उपनिषद्, I/9%;
'स्वाध्यायप्रवचनाभ्यां न प्रमदितव्यम्', तैत्तिरीय उपनिषद्, I/11 98. ध्यानशतक, गाथा, 28-29 99. आवश्यकचूर्णि गाथा, 2; ध्यानशतक, गाथा-6 100. ध्यानशतक, गाथा 26 101. भगवद्गीता, 7/16 102. भगवद्गीता, 16/8-18 103. 'भवकारणमट्टरुद्दाई' ध्यानशतक, गाथा 5%;
___ 'आसुरीं योनिमापन्ना मूढा जन्मनि जन्मनि.... यान्त्यधमां गतिम्।' भगवद्गीता, 16/20 104. ध्यानशतक, गाथा, 45 से 54 105. ध्यानशतक, गाथा 66
प्रस्तावना 55
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