SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 97
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ प्रमाणप्रमेयकलिका विद्वान् थे तथा सांस्कृतिक एवं शासन-प्रभावी कार्यों में वे अग्रगण्य रहते थे। इन्होंने जो उल्लेखनीय कार्य किये हैं वे निम्न प्रकार हैं : १. प्रस्तुत 'प्रमाणप्रमेयकलिका' की रचना । २. तत्कालीन पुरानी हिन्दी में 'पार्श्वनाथपूजा' तथा 'वृषभनाथपालणा' इन दो जनोपयोगी ‘भक्तिपूर्ण' रचनाओंका निर्माण । ये दोनों रचनाएँ अप्रकाशित हैं और हमें उपलब्ध नहीं हो सकी। अतः उनके सम्बन्धमें विशेष प्रकाश नहीं डाला जा सका । ३. कलमेश्वर ( नागपुर ) के जिनमन्दिर में इन्होंने श्रीगोपालजी गंगरडाके द्वारा एक 'ज्ञानयन्त्र' को प्रतिष्ठा करवायी । ४. सूरतके आदिनाथ चैत्यालयमें रहकर पुष्पदन्तके 'यशोधरचरित' की एक प्रति लिखी, जिससे इनके शास्त्र-लेखनकी विशेष प्रवृत्ति जानी जाती है। __ इस तरह साहित्य, संस्कृति और शासन-प्रभावनाके क्षेत्र में इन्होंने अनेक कार्य किये हैं । इन कार्योंसे उनकी साहित्यिक एवं सांस्कृतिक लगन, अभिरुचि, श्रद्धा, विद्वत्ता और शासन-प्रभावनाके प्रति विशेष अनुराग प्रकट होता है । ये तार्किक और श्रद्धालु दोनों थे। उपसंहार प्रस्तुत ग्रन्थ और उसके कर्ताके सम्बन्धमें जो ऊपर विचार किया गया है उसमें ग्रन्थको अन्तःसाक्षी और दूसरे साहित्यिक उल्लेख हैं। उन्हीं के प्रकाशमें उक्त निष्कर्ष निकाले गये हैं । आशा है उनसे एक अभिनव ग्रन्थ और ग्रन्थकारके बारे में कुछ जानकारी सामने आवेगी । २, अक्तूबर १९६१ : गाँधी-जयन्ती ) काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी, --दरबारीलाल कोठिया Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001146
Book TitlePramanprameykalika
Original Sutra AuthorNarendrasen Maharaj
AuthorDarbarilal Kothiya
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages160
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, & Nyay
File Size7 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy