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दीवसागरपण्णतिपइर्णिय
[१४] एगं च सर्वसहस्सं १००००० वित्थिण्णाओ सहस्समोविद्धा १००० । निम्मच्छ - कच्छभाओ जलभरियाओ अ सव्वा ॥ ( द्वीपसागर प्रज्ञप्ति, गाथा ४३ )
[१५] पुक्खरणीण चउदिसि पंचसए ५०० जोयणाण बाहाए । पुव्वाइआणुपुव्वी चउद्दिस होंति पागारपरिक्खित्ता सोहंते ते
वर्णसंडा ॥ अहियरम्मा |
वणा पंचसए ५०० वित्थिन्ना, सयस्सहस्सं १००००० च आयामा ॥ पुव्वेण असोगवणं, दक्खिणओ होइ सत्तिवन्नवर्ण । अवरेण चंपयवणं, चूयवणं उत्तरे पासे ॥
( द्वीपसागरप्रज्ञप्ति, गाथा ४४-४६ )
[१६] रयणमुहा उ दहिमुहा पुक्खरणीणं हवंति मज्झम्मि । दस चेव सहस्सा १०००० वित्यरेण, चउसट्ठि ६४ मुविद्धा ॥ ( द्वीपसागरप्रज्ञप्ति, गाथा ४८ )
[१७] जो दक्खिणअंजणगो तस्सेव चउद्दिसि च बोद्धव्वा ।
पुक्खरिणी चत्तारि वि इमेहि नामेहि विनेया ॥ पुवेण होइ भद्दा १, होइ सुभद्दा उ दक्खिणे पासे २ । अवरेण होइ कुमुया ३, उत्तरओ पुंडरिगिणी उ४ ॥ ( द्वीप साग र प्रज्ञप्ति, गाथा ५२-५३ )
[१८] अवरेण अंजणो जो उ होइ तस्सेव चउदिसि होंति । पुक्खरिणीओ, नामेहिं इमेहिं चत्तारि विनेया ॥ पुवेण होइ विजया १, दक्खिणओ होइ वैजयंती उ२ । अवरेणं तु जयंती ३, अवराइय उत्तरे पासे ४ ॥
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( द्वीपसागर प्रज्ञप्ति, गाथा ५४-५५ )
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