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________________ मांडू अभिलेख ३१७ ११वीं-१२वीं शतियों में धार के साथ मांडू भी विद्या का प्रख्यात केन्द्र था। भोजदेव के समय धार में सरस्वती सदन विद्या का सुविख्यात केन्द्र था। यह भोजशाला के नाम से आज भी विद्यमान है। इसमें सरवस्ती की एक अत्यन्त भव्य प्रतिमा स्थापित थी जो वर्तमान में लन्दन संग्रहालय में है। भोजशाला से मिलता जुलता एक सदन मांडू में विद्यमान है जिसको वर्तमान में भोज-विद्यालय कहते हैं। इस प्रकार मांडू विद्या का केन्द्र प्रमाणित है। प्रस्तुत सरस्वती स्तुति से भी इसी की पुष्टि होती है। (मूलपाठ) १. [ओ नमः] सरस्वत्यै ।। त्वयिकल्पलता... २. . . . . . भिन्नभावा जयति परं भारती... ३.. [स]कला धर्माः सरस्वत्येकसंश्रयाः ।। अ . . . ४. वामिति ध्वनिमय्यपि ॥ भारती भाति]... ५. द्भवो भवतु चेद्भवति मया निवा . . . ६. रतिर्भवति कस्य न योगिनो... ७. ऋच्छन्दसां भेदा मूर्ति दत्ते सरस्वत्यिाः ] . . . ८. सत्कविः स किमुच्यताम् ।। नि... ९. [अन्योन्यो (? )न स्यान्महाकविः ... १०. तैर्द्धरित्री निभृता भृता... ११.. सोऽनुग्रहः खलु गिरः . . . १२. चतुर्बग्य वाल्मीकिव्या[सादयः].... .. १३. . .घोटयन्नंदिनी वीरेश[:]... १४. [निवर्त्य चरणे धेनुं मुनेः . . . १५. .. . [ढ़भुद्भूपनिदर्शनम् . . . - (अनुवाद) १. ओं। सरस्वती को नमस्कार । तुझ में कल्पलता..... २. . . . . . भिन्न भाव वाली भारती सर्वत्र परम विजय प्राप्त करती है ३. हे सरस्वती ! सभी धर्म एक तुझ पर आधारित हैं... ४. तू ध्वनिमयि भी है। भारती शोभायमान हो रही है .... ५. ... उत्पन्न होवे, यदि होती है मेरे द्वारा... ६. किस योगी का अनुराग नहीं होता... ७. · अंक व छन्दों में भेद सरस्वती की मूर्ति प्रदान करती है. . . ८. वह श्रेष्ठ कवि है, क्या कहा जावे... ९. अन्य दूसरा महाकवि नहीं हो सकता. . १०. उनके द्वारा यह धरती निश्चल धारण की गई ... . ११. वह निश्चय ही वाणी का अनुराग है. .. १२. वाल्मीकी व्यास आदि चतुर्वर्ग के लिये... १३. .. .नंदिनी को दबोचा (तब) वीरेश (दिलीप) १४. लौट कर मुनि के चरणों में धेनु को... १५. ...आदर्श नरेश हुआ... .. . Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001130
Book TitleParmaras Abhilekh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarchand Mittal, Dalsukh Malvania, Nagin J Shah
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1979
Total Pages445
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Society
File Size9 MB
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