________________
२१४
परमार अभिलेख
१९. आवसथिक देल्ह के पुत्र पंडित मधुसूदन के लिये १ पद, शौनक गोत्री द्विवेद सीले के पुत्र द्विवेद पाहुल के लिये १ पद,
२०. काश्यप गोत्री आवसथिक देल्ह के पुत्र सोमदेव के लिये १ पद, अवाह गोली द्विवेद यशोधवल के
२१. पुत्र द्विवेद पाल्हक के लिये १ पद, गौतम गोत्री पंडित धामदेव के पुत्र पंडित रणपाल के लिये १ पद,
(दूसरा ताम्रपत्र- अग्रभाग )
द्विवेद सोता के पुत्र द्विवेद गंगाधर के लिये १ पद, कृष्णात्रेय गोत्री द्विवेद क्षीर
स्वामि
२३.
के पुत्र द्विवेद लक्ष्मीधर के लिये १ पद, शौनक गोली द्विवेद सीले के पुत्र श्रीधर के लिये ३ पद, भारद्वाज गोती
२४. ठकुर वील्हे के पुत्र ठकुर वाच्छुक के लिये १ पद, शांडिल्य गोत्री ठकुर. कुलधर के पुत्र ठकुर वाच्छुक के लिये १ पद,
२५. गौतम गोत्री द्विवेद गोल्हे के पुत्र द्विवेद वाल्हुक के लिये रे पद, शांडिल्य गोत्री ठकुर कुलधर के पुत्र ठकुर रासल के लिये
२६. ३ पद, काश्यप गोत्री पंडित सोण्डल के पुत्र ठकुर विष्णु के लिये 2 पद, कौण्डिन्य
r
गौली ठकुर कुञ्ज के पुत्र बटुक अहड़ के लिये
२७. पद, काश्यप गोत्री ठकुर विजपाल के पुत्र वटुक महण के लिये रे पद, इस प्रकार जैसा कहा गया है
२८. उन्नीस ब्राह्मणों को सोलह पद अंकों में १६ पद । इन ब्राह्मणों को उपरिलिखित ग्राम पूर्व व दक्षिण दोनों तलों से युक्त गड़े धन
२९. सहित नद नदी कूप तड़ाग वाटिका बगीचे से युक्त और आज तक की समस्त आय से
युक्त
३०. सभी प्रकार की आंतरिक सिद्धि से जल हाथ में लेकर शासन द्वारा दिया गया । अतएव यह ग्रामवासियों व
३१. कृषकों के द्वारा कर हिरण्य भाग भोग आदि आज्ञा मान कर देव ब्राह्मण द्वारा
३२. भोगे जा रहे को छोड़ कर सभी इन ब्राह्मणों के लिये देते रहना चाहिये । क्योंकि कहा गया है-
सगर आदि अनेक नरेशों ने वसुधा भोगी है और जब जब यह पृथ्वी जिस के अधिकार में रही है तब तब उसी को उस का फल मिला है | || ४ ||
तीन ही मुख्य दान हैं—गाय, पृथ्वी व सरस्वती । इन के दोहन, हल चलाने व निवेदन द्वारा ये सात पीढ़ी तक पवित्र करते हैं ॥ ५ ॥
सभी इन होने वाले नरेशों से रामभद्र बार बार याचना करते हैं कि यह सभी नरेशों के के लिये समान रूप धर्म का सेतु है । अत: अपने अपने काल में आप को इसका पालन करना चाहिये || ६ |
जो नरेश अपने द्वारा या दूसरे के द्वारा दी गई भूमि का अपहरण करता है वह कुम्भिपाक नरक से फिर कभी वापिस नहीं आता ॥ ७ ॥
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org