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________________ परमार अभिलेख अनुवाद (प्रथम ओर) १. ओं । स्वस्ति । लक्ष्मी की जय व उदय हो । श्री परमार २. वंश में समस्त परिक्रिया से विराजमान ३. महाकुमार श्री लक्ष्मीवर्मदेव विख्यात हैं (शासन कर रहे हैं) ४. श्री अधिद्राणाचार्य वंश में महाराजपुत्र ५. श्री अजयपालदेव के पुत्र, महाराजपुत्र (दूसरी ओर) ६. श्री पीथनदेव के पुत्र, महाराजपुत्र श्री ७. तेजोवर्मदेव, उस के छोटे भाई का पुत्र ८. श्री विजयसिंहदेव ने मित्र व संबंधी ९. राष्ट्रकूट वंशीय राजपुत्र श्री वाद्दिग १०. के साथ शत्रु से हुए युद्ध में विजय (तीसरी ओर) ११. प्राप्त की। यह कृति राम के पुत्र श्री १२. विजयसिंह की है। इसका वंश. . . १३. ... . कर। .....करा।....। १४. क...धला ...... मंडल में १५. :.... भाग प्र. ... उस को प्राप्त (४९) उज्जैन का जयवर्मदेव का ताम्रपत्र अभिलेख (अपूर्ण व तिथि रहित) .. प्रस्तुत अभिलेख एक ताम्रपत्र पर उत्कीर्ण है जो अभिलेख क्र. ४४ एवं क्र. ४७ के साथ १८१२ ई. में उज्जैन से प्राप्त हुआ था, तथा उनके साथ ही इसका उल्लेख किया गया। इसका विवरण एफ. इ. हाल ने ज. अमे. ओ. सो., भाग ७, पृष्ठ ३६ व आगे में छापा। इसका सम्पादन प्रो. कीलहान ने इं. ऐं., भाग १९, १८९० पृष्ठ ४५ व आगे में किया । ताम्रपत्र ब्रिटिश संग्रहालय, लंदन में सुरक्षित है ।। अभिलेख का आकार २७४ २२ सें. मी. है। परन्तु यह सम्पूर्ण अभिलेख का केवल पूर्वार्द्ध ही है। इसमें लेख भीतर की ओर खुदा हुआ है। नीचे की ओर दो छेद हैं । किनारे मोटे हैं व लेख वाले भाग की ओर मुड़े हैं। ताम्रपत्र का वजन .९१२ किलो है। अभिलेख १६ पंक्तियों का है। अंतिम पंक्ति के अन्त में एक चिन्ह है जो लेख के दूसरे अप्राप्य ताम्रपत्र पर चालू रहने का सूचक है। अक्षरों की बनावट १२वीं सदी की देवनागरी लिपि है। अक्षरों की लम्बाई ८ सें. मी. है। बनावट में अक्षर सुन्दर है। भाषा संस्कृत है व गद्य-पद्यमय है। इसमें ४ श्लोक हैं, शेष गद्य में है। व्याकरण के वर्ण विन्यास की दृष्टि से ब के स्थान पर व, श के स्थान पर स, म् के स्थान पर अनुस्वार बने हैं। र के बाद का व्यञ्जन दोहरा है। अवग्रह का दो स्थानों पर प्रयोग Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001130
Book TitleParmaras Abhilekh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarchand Mittal, Dalsukh Malvania, Nagin J Shah
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1979
Total Pages445
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Society
File Size9 MB
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