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________________ शेरगढ़ अभिलेख १३५ (मूलपाठ) १. ओं नमः शिवाय । संवत् ११४३ वैसा (शा)खा शुदि १० अ२. येह श्रीमदुदयादित्यदेव कल्याण विजयराज्ये । तै३. लिकान्वए (ये) पटू(ट्ट) किल चाहिलसुत पटू (ट्ट)किल जन्न[के]४. न शंभोः प्रासादमिदं (दोऽयं )कारितं (तः) । तथा चिरिहिल्लतले चा५. डाघोषाकूपिकावुवासकयोः अन्तराले वापी च। ६. उत्कीर्णेयं प (पं)डित हर्षकेने (णे)ति । जानासत्का७. ता धाइणिः प्रणमति । श्री लोलिगस्वामिदेवस्स (स्य) केरि (कृते) ८. तैल (लि) कान्वय पटू (ट्ट) किल चाहिल सुत पटू (ट्ट)किल जनकेन । श्री सेंधवदेव पर९. व (पव) निमित्यं (तं) दीपतैल्य (तैल) चतुः पलमेकं मु (मो) दकं क्रीत्वा तथा वरिषं (वर्ष) प्रति स[]विज्ञा१०. प्तं ॥छ।। मंगलं महाश्री ॥९ (अनुवाद) १. ओं। शिव को नमस्कार । संवत् ११४३ वैशाख सुदि १० को २. आज श्रीमान् उदयादित्य देव के कल्याणकारी विजय (युक्त) राज्य में।। ३. तैलिक वंश में पटेल चाहिल सुत पटेल जन्नक के ४. द्वारा (भगवान) शंभु का यह मंदिर बनवाया गया तथा चिरिहिल्लतल में ५. चाडाघौषा कूपिका और वुवासक के बीच एक वापी (बावड़ी) बनवाई गई। ६. यह पंडित हर्षुक के द्वारा उत्कीर्ण करवाया गया । जन्नक की माता (?) ७. प्रणाम करती है। श्री लोलिगस्वामी देव के लिए ८. तैलिक वंश का पटेल चाहिलसुत पटेल जनक के द्वारा श्री सेंधवदेव पर्व ९. पर चार पली दीपतेल तथा एक मोदक खरीद कर प्रतिवर्ष दिया जावेगा। १०. छः । मंगल व श्रीवृद्धि हो । ९ (?) (२९) शेरगढ़ का उदयादित्य का प्रस्तरखण्ड अभिलेख . (तिथि खण्डित) प्रस्तुत अभिलेख राजस्थान के कोटा जिले में अत्रु तालुका के अन्तर्गत शेरगढ़ नामक स्थान से प्राप्त हुआ। शेरगढ़ पत्थर के परकोटे से घिरा एक ध्वस्त नगर है । शेरशाह सूरि (१५४०४५ ई.) ने इस पर अधिकार कर इसको अपने नाम पर बदल डाला। परन्तु प्रस्तुत अभिलेख में इसका नाम 'कोषवर्द्धन' लिखा मिलता है। अभिलेख वहां लक्ष्मीनारायण मंदिर में एक स्तम्भ में लगे प्रस्तरखण्ड पर उत्कीर्ण है। प्रस्तरखण्ड किसी अन्य मंदिर से लाकर यहां लगाया गया है। अभिलेख का सम्पादन डा. अनन्त सदाशिव अल्तेकर ने एपि. इं., भाग २३, १९३५-३६, पृष्ठ १३१-४१ पर किया। इसका कुछ अन्य स्थलों पर भी उल्लेख किया गया । प्रस्तरखण्ड की हालत अच्छी है। अभिलेख सुन्दर ढंग से उत्कीर्ण है। इसका आकार ७०४ ६४ सें. मी. है । Jain Education International For Private & Personal use only www.jainelibrary.org
SR No.001130
Book TitleParmaras Abhilekh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarchand Mittal, Dalsukh Malvania, Nagin J Shah
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1979
Total Pages445
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Society
File Size9 MB
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