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धार अभिलेख
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मंदिर में खुदे प्राप्त होते हैं । उन अभिलेखों में भी उसके द्वारा उपरोक्त मंदिर के निर्माण करवाने का उल्लेख है।
अभिलेख का महत्व इस तथ्य में है कि इससे नरेश उदयादित्य के शासन काल की प्रथम लिखित तिथि ज्ञात होती है। अन्यथा अभी तक के उसके अभिलेखों में तिथि का अभाव है। उदयपुर प्रशस्ति (क्र. २२) में तो उसके पौराणिक वराह की भांति पृथ्वी अर्थात् परमार साम्राज्य के उद्धार करने का उल्लेख है।
अभिलेख में किसी भौगोलिक नाम का उल्लेख नहीं है । संभवत: उसकी आवश्यकता भी नहीं थी।
(मूलपाठ) १. स्वस्ति ।।
एकच्छवां करोतु क्षमामुदयादित्य भूपति (1)
इत्याद्यं सिद्धिदं वेदं शंसामः सर्वतो नृप ।। [१] ३. क्ष्मासि (शि) रसि भूत्या स क्ष्माभूधशस्तु ।। रवि संक्रांति ४. करणं (णम्) ।। [श्लोको]यं पंडित श्री शृङ्गवाससूनोः । ५. पंडित श्री महीपालस्य ॥ संवत् ११३७ वैसा (शा)ख सुदि ७ ६. श्रीमदुदयेस्व (श्व) र देवस्य ध्वजारोहः संपूर्णः ।। मंगलं महाश्रीः [1]
- (अनुवाद) १. स्वस्ति ।
उदयादित्य नरेश पृथ्वी को एकछत्र बनावे । हे राजन, इस प्रकार की सिद्धि प्रदान करने वाले को हम बोलते हैं ।।१।। ३. (अब) वह पृथ्वी से यश सम्पादन करे। रवि संक्रांति ४. करण की। यह श्लोक पंडित श्री शृंगवास के पुत्र ५. पंडित श्री महीपाल का (है) । संवत् ११३७ वैसाख सुदी ७ ६. श्रीमत् उदयेश्वर देव का ध्वजारोह (समारोह) संम्पन्न (हुआ)। महालक्ष्मी मंगलकारी हो ।
(२५) धार से प्राप्त देवी प्रतिमा अभिलेख
(सं. ११३८%१०८१ ई.) प्रस्तुत अभिलेख श्वेत पत्थर की बनी देवी मूर्ति के पादपीठ पर उत्कीर्ण है। यह प्रतिमा धार स्टेट के पुरातत्व विभाग के काशीनाथ कृष्ण लेले ने १९२० ई. में धार नगर में देवी तालाब के किनारे पड़ी प्राप्त की थी। इसका उल्लेख ए. भं. ओ.रि. ई., भाग ४, पार्ट २, १९२२२३, पृष्ठ ९९-१०२ में किया।
देवी प्रतिमा ५८ सें. मी. ऊंची व २८ सें. मी. चौड़ी है। यह सफेद पाषाण, जो संगमरमर के समान लगता है, की बनी हुई है। इसके पादपीठ पर उत्कीर्ण लेख दो पंक्तियों का है। अभिलेख का कुल क्षेत्र २०x१० सें. मी. है। इसमें खुदे अक्षर २ सें. मी. लम्बे हैं । अक्षर ११ वीं सदी की नागरी लिपि में हैं, यद्यपि कुछ अक्षर पूर्वकालीन भी लगते हैं । अक्षरों की बनावट सुन्दर नहीं है, एवं ध्यान से खोदे भी नहीं गये हैं। भाषा संस्कृत है, परन्तु त्रुटिपूर्ण है । अभिलेख गद्यमय है परन्तु पाठ अशुद्ध लगता है। वर्ण विन्यास की दृष्टि से कुछ भी महत्वपूर्ण नहीं है।
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