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सव्वे जल-थल-खयरा समुच्छिमा गब्भया दुहा हुंति । कम्माकम्मगभूमि अंतरदीवा मणुस्सा य ॥२३॥
दसहा भवणाहिबई अट्टविहा वाणमंतरा हुँति ।। जोइसिया पंचविहा दुविहा वेमाणिया देवा ॥२४॥
सिद्धा पनरसभेया तित्थातित्थाइसिद्धभेएणं । एए संखेवेणं जीवविगप्पा समक्खाया ॥२५॥ एएसिं जीवाणं सरीरमाऊ ठिई सकायम्मि । पाणा जोणिपमाणं जेसिं जं अत्थि त भणिमो ॥२६॥
अंगृलअसंखभागो सरीर-मेगिदियाण सव्वेसि । जोयणसहस्समहियं नवरं पत्तेयरुक्खाण ॥२७॥
बारस जोयण तिन्नेव गाउआ जोयणच अणुक्कमसो । बेइंदियतेइंदिय- चउरिदियदेहमुच्चत्तं ॥२८॥
धणुसयपंचपमाणा नेरइया सत्तमाइ पुढवीए । तत्तो अद्धद्धणा नेया रयणप्पहा जाव ॥२९॥
जायणसहस्समाणा मच्छा उरगा य गब्भया हुंति । धणुहपुहुत्तं पक्खासु भुअचारी गाउअपुहुत्तं ॥३०॥
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