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________________ ५४२ २३ २४ अनुयोगद्वारसूत्रम् [ सू० ४७७-४९६] [४] असंतयं संतएणं उवमिजति जहापरिजूरियपेरंतं चलंतवेंट पडंत निच्छीरं । पत्तं वसणप्पत्तं कालप्पत्तं भणइ गाहं ॥१२०॥ जह तुब्भे तह अम्हे, तुम्हे वि य होहिहा जहा अम्हे । अप्पाहेति पडतं पंडुयपत्तं किसलयाणं ॥१२१॥ 5 णवि अत्थि णवि य होही उल्लावो किसल-पंडुपत्ताणं । उवमा खलु एस कया भवियजणविबोहणट्ठाए ॥१२२॥ [५] असंतयं असंतएण उवमिजति-जहा खरविसाणं तहा ससविसाणं । सेतं ओवमसंखा। [सू० ४९३] से किं तं परिमाणसंखा ? परिमाणसंखा दुविहा 10 पण्णत्ता? तं०-कालियसुयपरिमाणसंखा दिट्ठिवायसुयपरिमाणसंखा ३० य। ३१ [सू० ४९४] से किं तं कालियसुयपरिमाणसंखा ? कालियसुयपरिमाणसंखा अणेगविहा पण्णत्ता । तंजहा-पज्जवसंखा अक्खरसंखा संघायसंखा पदसंखा पादसंखा गाहासंखा सिलोगसंखा 15 वेढसंखा निजुत्तिसंखा अणुओगदारसंखा उद्देसगसंखा अज्झयणसंखा सुयखंधसंखा अंगसंखा । सेतं कालियसुयपरिमाणसंखा । [सू० ४९५] से किं तं दिट्टिवायसुयपरिमाणसंखा ? दिट्टिवायसुयपरिमाणसंखा अणेगविहा पण्णत्ता । तंजहा-पजवसंखा जाव अणुओगदारसंखा पाहुडसंखा पाहुडियासंखा पाहुडपाहुडियासंखा 20 वत्थुसंखा → पुव्वसंखा + । सेतं दिट्टिवायसुयपरिमाणसंखा । सेतं परिमाणसंखा। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001107
Book TitleAgam 45 Chulika 02 Anuyogdwar Sutra Part 02
Original Sutra AuthorAryarakshit
AuthorJambuvijay
PublisherMahavir Jain Vidyalay
Publication Year2000
Total Pages560
LanguagePrakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_anuyogdwar
File Size11 MB
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