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________________ आ.श्रीजिनदासगणिविरचितचूर्णि-हरिभद्रसूरिविर०विवृति-मल० हेमचन्द्रसूरिविर०वृत्तिभिः समेतम् १७२ एयाए णं संगहस्स अट्ठपयपरूवणयाए संगहस्स भंगसमुक्कित्तणया कीरइ। [सू० ११८] से किं तं संगहस्स भंगसमुक्कित्तणया ? संगहस्स भंगसमुक्कित्तणया- अत्थि आणुपुव्वी १, अत्थि अणाणुपुव्वी २, . 5 अत्थि अवत्तव्वए३, अहवाअत्थि आणुपुव्वीय अणाणुपुव्वीय४, अहवा अत्थि आणुपुव्वी य अवत्तव्वए य ५, अहवा अत्थि अणाणुपुव्वी य अवत्तव्वएय६, अहवाअत्थि आणुपुत्वीय अणाणुपुत्वीय अवत्तव्वएय ७। एवं एए सत्त भंगा। सेतं संगहस्स भंगसमुक्कित्तणया। [सू०११९] एयाएणंसंगहस्सभंगसमुक्कित्तणयाए किं पओयणं? 10 एयाएणंसंगहस्सभंगसमुक्कित्तणयाए संगहस्सभंगोवदंसणया कजति। [सू० १२०] से किं तं संगहस्स भंगोवदंसणया ? संगहस्स भंगोवदंसणया-तिपएसियाआणुपुव्वी१, परमाणुपोग्गलाअणाणुपुव्वी २, दुपएसिया अवत्तव्वए ३, अहवा तिपएसिया य परमाणुपोग्गला य आणुपुव्वी य अणाणुपुव्वी य ४, अहवा तिपएसिया य दुपएसिया य 15 आणुपुव्वी य अवत्तव्वए य ५ अहवा परमाणुपोग्गला य दुपएसिया य अणाणुपुत्वीय अवत्तव्वए य ६, अहवा तिपएसियाय परमाणुपोग्गलाय दुपएसियाय आणुपुव्वी य अणाणुपुत्वीय अवत्तव्वए य७।सेतंसंगहस्स भंगोवंदसणया। [चू०११७-१२०] भंगसमुकित्तणाए भंगोवदसणाए य सत्तभंगे कित्तयति दंसेइय। 20 सेसो अक्खरत्थो जधा णेगम-ववहाराणं तहा वत्तव्यो। [हा० ११७-१२०] एताए णमित्यादि पाठसिद्धं यावत् अत्थि आणुपुल्वी Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001106
Book TitleAgam 45 Chulika 02 Anuyogdwar Sutra Part 01
Original Sutra AuthorAryarakshit
AuthorPunyavijay, Jambuvijay
PublisherMahavir Jain Vidyalay
Publication Year1999
Total Pages540
LanguagePrakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, G000, G010, & agam_anuyogdwar
File Size11 MB
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