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________________ पुरुषार्थसिद्धय पाय ] [५३ नरक, तिर्यंच, मनुष्य, देव इन चारों गतियोंमें जिसगतिके योग्य कार्य करता था उसी गतिमें वह उपार्जित कर्मों के उदयसे पहुंच कर फल भोगता था। इस जीवको कोई दूसरा सुख दुःख देनेवाला नहीं है; जब कोई मनुष्य बीमार पड़ता है, तव घरवाले अनेक उपचार करते हैं, रातदिन सेवा में लगे रहते हैं, अत्यन्त प्रिय रोगीके बदलेमें स्वयं मरने तकके लिए तैयार होते हैं, परन्तु रोगीके दुःखको कोई रत्तीभर भी नहीं बटा सकता । उस जीवने तीव्र या मध्यम या मंद जैसे कर्म किये हैं, उनके अनुसार उसे फल भोगना ही पड़ेगा । जो लोग यह कहते हैं कि 'परमात्मा जैसा करता है, वैसा होता है; वही हरएक जीवको सुखदुःख का फल देता है।' ऐसा कहनेवाले परमात्माके स्वरूपकी विडम्बना करते है। परमात्माका स्वरूप वीतराग है, अशरीर है, निरीच्छ है, वह किसीका कर्ताहर्ता हो नहीं सकता। जिसके कार्य करनेकी इच्छा हो, शरीर हो, सरागी हो, वही किसी कार्यको कर सकता है; विना शरीरके किसीने संसारमें कोई कार्य आजतक किया नहीं, कर भी नहीं सकता । जो वात असंभव है, वह कभी किसीके द्वारा साध्यकोटिमें आ नहीं सकती । यदि परमात्मा ही जगत्का कर्ताहर्ता हो तो फिर जगत्में किसी प्रकारका कोई अन्याय, अत्याचार एवं अनर्थ नहीं हो सकता । क्योंकि परमात्मा सर्वज्ञ है, वह सबोंके भावोंको पहचानता है। वह जानता है कि कौन क्या कर रहा है अथवा करनेवाला है, वह सर्वशक्तिमान भी है, इसलिपे पापियोंको बुरे कार्मो से रोक सकता है। ऐसी अवस्थामें व्यभिचारी, चोर, बेईमान, हिंसक आदि अधर्मी पुरुषोंकी सृष्टि नहीं होनी चाहिये । परन्तु देखने में आता है कि कहीं वेश्यायें पापकर्म कर रही हैं, कहीं चोरियां हो रही हैं, कहीं शराबी शराब पी रहे हैं। सर्वज्ञ और शकिशाली ईश्वर उन्हें रोक क्यों नहीं सकता ? यदि कहा जाय वे अपने किये हुये कर्मों के अनुसार वैसे वैसे कार्यों में लगे हुये हैं तो फिर ईश्वर करता ही क्या है ? उसका नाम क्यों बदनाम किया जाता है ? जो जैसा Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001104
Book TitlePurusharthsiddhyupay Hindi
Original Sutra AuthorAmrutchandracharya
AuthorMakkhanlal Shastri
PublisherBharat Varshiya Anekant Vidwat Parishad
Publication Year1995
Total Pages460
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, & Principle
File Size11 MB
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