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________________ ३७८] __ [ पुरुषार्थसिद्धय पाय जो प्रायश्चित्तरूपसे ध्यान किया जाता है वह व्युत्सर्ग प्रायश्चित्त कहलाता है । अनशनादि तपोंका धारण करना तप प्रायश्चित्त है । कुछ नियत दिनोंके लिये दोक्षाका छेद कर देना छेद नामका प्रायश्चित्त है। दोष करनेवालेको कुछ कालके लिये संघसे बाहर कर देना परिहार नामका प्रायश्चित्त है । किसी बहुत बड़े दोषपर दोषीकी दीक्षाको सर्वथाछेद करके फिर नवीनरूपसेउसेदीक्षित बनाना उपस्थापना नामकगुण प्रायश्चित्त है । जैसे जैसे दोष होते हैं उन्हींके परिमाणमें इन प्रायश्चित्तोंको गुरु-आचार्य देते हैं । कषायोंकी तीवतासे कभी कभी किसी निमित्तकी प्रबलतासे मुनियोंसे भी दोष बन जाते हैं परंतु शीघ्र ही कषायोंका उपशम होनेसे वे गुरुओंसे प्रायश्चित्त लेकर शुद्ध हो जाते हैं, जब कि इंद्रिय विषयोंसे सर्वथा दूर एवं निमित्तमात्रको दूरकर जंगलमें निवास करनेवाले मुनियोंसे भी कषायवश कभी कभी कोई दोष बन जाते हैं तो रातदिन इंद्रियविषयों में लिप्त रहने वाले एवं सब प्रकारके सांसारिक निमित्तोंमें सने हुए गृहस्थसे छोटेसे लेकर बड़े बड़े दोषोंका हो जाना सहज है, परंतु कभी किसी दोषके उपस्थित हो जानेपर फिर व्रतच्युति समझकर दोषोंसे मुक्त होनेकी चेष्टा नहीं करना मूर्खता है, इसलिये यह परमावश्यक है कि गृहस्थको भी प्रायशिचत शास्त्रों के आधार पर विशेषज्ञोंसे अपने दोषोंका प्रायश्चित्त लेकर आत्माको शुद्ध बनाना चाहिये । सम्यग्ज्ञानकी वृद्धि एवं संयमकी रक्षाके लिये स्वाध्याय करना, चारों अनुयोग शास्त्रोंको वांचना, चितवन करना पूछना, मननकरना, दूसरोंको समझाना आदि स्वाध्याय तप है । तथा एकाग्रचित्त होकर समस्त आरंभ परिग्रहसे मुक्त बनकर अहंत सिद्ध अथवा निजात्मा अथवा अन्य किसी ध्येय पदार्थमें निमग्न हो जाना ध्यान है । यह भी अंतरंग तप है । इसप्रकार ऊपर अंतरंग तपका वर्णन किया गया है । इस तपका केवल आत्मीय भावोंसे संबंध है, वाह्यनिमित्त अंतरंग तपमें अवलंबन नहीं पड़ता है तथा मनका अवलंबन प्रधान है इसीलिये इसे Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001104
Book TitlePurusharthsiddhyupay Hindi
Original Sutra AuthorAmrutchandracharya
AuthorMakkhanlal Shastri
PublisherBharat Varshiya Anekant Vidwat Parishad
Publication Year1995
Total Pages460
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, & Principle
File Size11 MB
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