SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 318
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ पुरुषार्थसिद्धय पाय ] [२९६ वह जिस समय भी किया जायेगा निर्मलता ही करेगा, उससे हानि तो कभी हो ही नहीं सकती है परंतु यदि दूसरे समयमें सामायिक करनेका अवकाश नहीं मिल सके तो सुबह साम इन दो संध्या समयोंमें तो अवश्य निश्चित रूपसे करना चाहिये । सामायिकप्रतिमामें तो नियम से तीनबार सामायिक करनेका विधान है। दिनका पूर्वार्ध और उत्तरार्ध इन दोनोंके मिलनेसे दोपहर भी संध्यासमय कहा जाता है। इसलिये सामायिक प्रतिमावालेको प्रातःकाल, मध्याह्नकाल और सायंकाल इन तीनों समयोंमें सामायिक करना अनिवार्य नियत है । सामायिकमें महाव्रत सामायिकं श्रितानां समस्तसावद्ययोगपरिहारात । भवति महाव्रतमेषामुदयेपि चारित्रमोहस्य ।।१५।। अन्वयार्थ - ( एपां) इन ( सामायिकं श्रितानां ) सामायिक करनेवाले पुरुषोंके ( समस्तसावद्योगपरिहारात ) सम्पूर्ण पापयोगोंका त्याग हो जाता है इमलिये (चारित्रमोहस्य उदयेपि) चारित्रमोहनीयकर्मके उदय होनेपर भी ( महाव्रतं भवति ) महाव्रत हो जाता है। _ विशेषार्थ-यह बात निश्चित है कि बिना नग्न दिगम्बर-मुनिलिंगधारण किये प्रत्याख्यानावरणी कषायका अभाव नहीं हो सकता है इसलिये गृहस्थके उसका सदा उदय ही रहता है और यह भी नियम है कि प्रत्याख्यानावरणी कषाय महाव्रतका घात करता है, उसके उदयमें महाव्रत हो नहीं सकता इसलिये गृहस्थपर्यायमें महाव्रत पाले नहीं जा सकते हैं परन्तु कोई गृहस्थ जिस समय सामायिक कररहा है उससमय उसके त्रस स्थावर दोनोंप्रकारकी हिंसाका सर्वथा त्याग हो जाता है तथा मन वचन कायरूप योगांकी अशुभ एवं शुभ दोनोंसे निवृत्त होकर आत्मा की वीत. राग परिणतिकी ओर होजाती है ऐसी अवस्थामें सामायिक करतेहुये गृहस्थके भीउस समय महावत हो जाता है । क्योंकि मुनियोंके जो महाबत होता है उसका कारणभी यही है कि उनके त्रस स्थावरहिंसाका त्यागएवं सावद्ययोग Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001104
Book TitlePurusharthsiddhyupay Hindi
Original Sutra AuthorAmrutchandracharya
AuthorMakkhanlal Shastri
PublisherBharat Varshiya Anekant Vidwat Parishad
Publication Year1995
Total Pages460
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, & Principle
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy