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________________ २८२ । | पुरुषार्थसिद्धय पाय सप्तशीलोंके पालने की भी नितांत आवश्यकता है, विना शीलोंके पालन किये व्रतोंका पालन निर्विघ्न एवं निर्दोष रीतिसे नहीं बन सकता । सात शीलोंमें तीन गुणत्रत और चार शिक्षावूत लिये गये हैं । उनमें दिग्वत, देशव्रत, अनर्थदंडवत ये तीन गुणव्रत कहलाते हैं । सामायिक, प्रोषधोपवास, भोगोपभोग परिमाण और अतिथिसंविभाग ये चार शिक्षावत कहलाते हैं । इन्हीं सातोंको शीलव्रत कहते हैं । अर्थात् पांचों अणुव्रतोंकी हरप्रकार से रक्षा करना ही इनका स्वभाव है इसलिये इनका नाम शीलव्रत है । जिससमय आत्मा दिशा आदि की मर्यादा करलेता है, बिना प्रयोजन के हिंसा के कारणों में नहीं प्रवृत्त होता है, सामायिक आदि द्वारा मनको पवित्र बना लेता है, भोग उपभोगादिकोंका परिणाम कर तृष्णाको घटा डालता है उस समय उसकी प्रवृत्ति सुतरां ऐसी बन जाती है कि हिंसा झूठ आदि पाप उस आत्मासे बनता ही नहीं । प्रत्युत अहिंसा सत्य आदि बूतोंमें दृढ़ता हो जाती है । इसलिये वूतोंका पालन करनेवालों को शीलोंका पालन करना परमावश्यक है । अब उन्हींका विवेचन किया जाता है । दिव्रतका स्वरूप प्रविधाय सुप्रसिद्ध मर्यादां सर्वतोप्यभिज्ञानैः । प्राच्यादिभ्यो दिग्भ्यः कर्तव्या विरतिरविचलिता ॥ १३७॥ इति नियमितदिग्भागे प्रवर्तते यस्ततो बहिस्तस्य' । सकलाऽसंयमविरहाद्भवत्यहिंसात्रतं पूर्णं ॥ १३८॥ ) अन्वयार्थ - ( सुप्रसिद्ध : अभिज्ञानैः ) सुप्रसिद्ध संकेत स्थानों द्वारा ( सर्वतः अपि समस्त दिशाओं में ही ( मर्यादां प्रविधाय ) मर्यादा करके ( प्राच्यादिभ्यः ) पूर्व पश्चिम आदि दिशाओंसे (अविचलिता विरतिः कर्तव्या ) दृढ़रूप कभी विचलित नहीं होनेवाली विरक्ति लेना चाहिये । ( इति ) इसप्रकार ( यः ) जो नियमितदिग्भागे ) नियत दिशाओंके विभागों में (प्रवर्तते ) प्रवर्तन करता है ( तस्य ) उस पुरुषके ( ततः बहिः) उस मर्यादित १. किन्हीं २ प्रतियों में ' तस्याः' यह भी पाठ है परंतु उसके माननेपर 'ततः' पद व्यर्थ पड़ता है इसलिये 'तस्' यही पाठ शुद्ध है । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001104
Book TitlePurusharthsiddhyupay Hindi
Original Sutra AuthorAmrutchandracharya
AuthorMakkhanlal Shastri
PublisherBharat Varshiya Anekant Vidwat Parishad
Publication Year1995
Total Pages460
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, & Principle
File Size11 MB
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