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प्रस्तावना : ३९
कारणसामग्री से जब उत्पन्न होता है तो स्वप्रकाशनरूप क्रियासे परिणत नहीं होता, ऐसा अनुभव नहीं होता, अपितु वह स्वसामग्री से उत्पन्न होता हुआ अपना प्रकाश करनेवाला प्रतीत होता है, अन्यथा उसे अपना प्रकाश करनेके लिए प्रकाशान्तरकी अपेक्षा करनी पड़ेगी, जो कि अप्रातीतिक है । यह प्रदीपादिका प्रकाश घटादिके ज्ञान और स्वरूप (स्वप्रकाशके) ज्ञान करनेमें चक्षुरिन्द्रियकी सहायता न करता होता तो वह स्वप्रकाशक न होता, किन्तु वह सहायता करता है, अतः स्वप्रकाशक है । वास्तवमें चक्षुरिन्द्रियकी जो सहायता है वही प्रदीपादिकी प्रकाशकता हैं । वह प्रकाशकता जिस प्रकार घटादिका प्रकाश करते हुए प्रदीपादिमें विद्यमान है उसी प्रकार अपना प्रकाश करते हुए भी प्रदीपादि में वह मौजूद रहती है । इस प्रकार प्रदीपादिके प्रकाशमें स्वप्रकाशन क्रिया सिद्ध है । उसी तरह ज्ञानमें अर्थप्रकाशन क्रिया की तरह स्वप्रकाशन क्रिया भी समझना चाहिए -- उसमें कोई विरोध नहीं है ।
उपर्युक्त विवेचन से नैयायिकों का यह अनुमान निरस्त हो जाता है। कि 'ज्ञान स्वप्रकाशक नहीं है, क्योंकि वह अर्थप्रकाशक है, जैसे चक्षु आदि,' कारण कि हम ऊपर देख चुके हैं कि प्रदीपादि अर्थप्रकाशक होते हुए स्वप्रकाशक भी हैं, अतः अनुमानगत हेतु प्रदीपादिके साथ अनैकान्तिक हेत्वाभास है । 'प्रदीपादि उपचारसे प्रकाशक हैं, यथार्थतः नहीं, यथार्थ में तो चक्षु आदि इन्द्रियाँ प्रकाशक हैं, अतः उक्त हेतु प्रदीपादिके साथ व्यभिचारी नहीं हैं' यह कथन भी युक्त नहीं है, क्योंकि यथार्थतः चक्षु आदि इन्द्रियाँ भी अर्थ प्रकाशक नहीं हैं, वास्तव में अर्थप्रकाशक ज्ञान ही सिद्ध होता है । ऐसी दशा में उक्त अनुमानगत दृष्टान्त (चक्षु आदि) साधनविकल दृष्टान्ताभास है । अतः ज्ञान निम्न अनुमानसे स्वप्रकाशक सिद्ध है - 'ज्ञान स्वप्रकाशक है, क्योंकि वह अर्थप्रकाशक है । जो स्वप्रकाशक नहीं है वह अर्थप्रकाशक नहीं देखा जाता, जैसे दीवाल आदि, और अर्थप्रकाशक ज्ञान है, इसलिए वह स्वप्रकाशक है' यह केवलव्यतिरेकिहेतुजनित अनुमान है, जो साध्याविनाभावी हेतु से उत्पन्न होनेके कारण निर्दोष है । चक्षु आदि इन्द्रियाँ यथार्थ में अर्थप्रकाशक सिद्ध नहीं होतीं, अत: उनके साथ भी हेतु अनैकान्तिक नहीं है । ज्ञानमें सहायक होने मात्र से उन्हें उपचारसे अर्थप्रकाशक माना गया है । 'दोवाल आदि अपने अविनाभावी परभागादि पदार्थोंके प्रकाशक ( अनुमापक) हैं, जैसे धूमादि अग्न्यादिके, और इसलिए उक्त अनुमानगत
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