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________________ १४ : प्रमाण-परीक्षा विषय १५. कारणव्यापकविरुद्ध सहचर १६. व्यापककारणविरुद्धसहचर ९० (१) विधिसाधक - प्रतिषेधसाधन ९१ १. विरुद्ध कार्यानुपलब्धि ९१ २. विरुद्धकारणानुपलब्धि ९१ ३. विरुद्धस्वाभावानुपलब्धि ९१ ४. विरुद्धसहचरानुपलब्धि ९१ (२) विधिप्रतिषेधक-प्रतिषेध साधन ९१ १. अविरुद्ध कार्यानुपलब्धि ९१ २. अविरुद्धकारणानुप लब्धि ९२ ३. अविरुद्धव्यापकानुप लब्धि ९२ ४. अविरुद्धसहचरानुप लब्धि ९२ ५. अविरुद्धपूर्वं चरानुप ६. अविरुद्ध उत्तरचरानुप पृष्ठ लब्धि ९२ (i) बौद्धसम्मत हेतुभेद ९० Jain Education International लब्धि ९२ (ii) न्यायसम्मत हेतुभेद परीक्षा ९३ परीक्षा ९३ (iii) सांख्यसम्मत हेतुभेद परीक्षा ९५ (क्ष) साध्यस्वरूप - -विमर्श ९६ (त्र) स्वार्थानुमान - विमर्श ९६ (ज्ञ) परार्थानुमान - विमर्श ९६ विषय पृष्ठ (i) वचनात्मक परार्था नुमान -मीमांसा ९६ (ii) वचनात्मक परार्थ प्रत्यक्षका आपादन ९६ ( ५ ) श्रुतज्ञान - विमर्श १. श्रुतज्ञान - स्वरूप २. श्रुतज्ञान-भेद ३. श्रुतकी कथंचित् पौरुय - अपौरुषेयसिद्धि ९९ ५. ४. श्रुतके आर्ष- अनार्ष भेद १०३ वेद-मीमांसा १०३ ३. प्रमाणविषय- परीक्षा १०५-१०६ (i) प्रमाणका विषय-द्रव्यपर्यायात्मक १०५ (ii) केवल पर्याय प्रमाणका विषय नहीं है १०५ (iii) केवल द्रव्य भी प्रमाणका विषय नहीं है १०६ ४. प्रमाणफल- परीक्षा १०६-११० (i) प्रमाणका फल कथंचित् भिन्न और कथं चित् अभिन्न है १०७ ९७ ९७ ९८ (ii) प्रमाणका साक्षात् फल १०७ (iii) प्रमाणका परम्परा फल १०७ (iv) प्रमाणफलको भिन्न स्वीकार करने में दोष १०८ (v) सर्वथा अभिन्न माननेमें दोष १०८ For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001102
Book TitlePramana Pariksha
Original Sutra AuthorVidyanandacharya
AuthorDarbarilal Kothiya
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1977
Total Pages212
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, Nyay, P000, & P035
File Size13 MB
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