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________________ प्रस्तावना-विषयानुक्रम : १३ विषय पृष्ठ विषय (म) वैशेषिकमत-समीक्षा (iv) उत्तरचर हेतु और तर्कप्रमाण-सिद्धि ६२ (२) (क) साक्षात् प्रतिषेध(य) सांख्यादिमत-समीक्षा ६४ साधक-विधि-साधन ८७ (र) स्मतिप्रमाण-विमर्श ६६ (१) विरुद्ध कार्य (ल) प्रत्यक्ष-विमर्श ६७ (२) विरुद्ध कारण . (व) प्रत्यक्ष-भेद (३) विरुद्ध अकार्यकारण (१) इन्द्रिय-प्रत्यक्ष (i) विरुद्ध व्याप्य (२) अनिन्द्रिय-प्रत्यक्ष (ii) विरुद्ध सहचर (३) अतीन्द्रिय-प्रत्यक्ष ७२ (iii) विरुद्ध पूर्वचर (i) विकल-प्रत्यक्ष (iv) विरुद्ध उत्तरचर ८८ (ii) सकल-प्रत्यक्ष (ख) परम्परा प्रतिषेधसाधक(iii) विकलप्रत्यक्ष-भेद ७२ विधिसाधन ८८ (iv) अवधिज्ञान १. कारणविरुद्धकार्य ८८ (v) मनःपर्ययज्ञान ७३ २. व्यापकविरुद्धकार्य (vi) केवलज्ञान-विमर्श ७४ ३. कारणव्यपापक(श) परोक्षका विशेष विमर्श ७४ विरुद्धकार्य ८९ (१) स्मति-विमर्श ७५ ४. व्यापककारणविरुद्ध(२) प्रत्यभिज्ञान-विमर्श ७५ कार्य ८९ (३) तर्क-विमर्श ७९-९७ ५. कारणविरुद्धकारण ८९ (४) अनुमान-विमर्श ७९ ६. व्यापकविरुद्ध कारण ८९ (ष) हेतुस्वरूप-विमर्श ७९ ७. कारणव्यापकविरुद्ध(स)त्रैरुप्यहेतुलक्षण-समीक्षा८० कारण ८९ (ह) पांचरुप्यहेतुलक्षण ८. व्यापककारणविरुद्धसमीक्षा ८५ कारण ८९ (क्ष) हेतु-भेद-विमर्श ८६ ९. कारणविरुद्धव्याप्य ८९ (१) विधि-साधक-विधि-साधन ८६ १०. व्यापकविरुद्धव्याप्य ८९ १. कार्यहेतु ११. कारणव्यापक२. कारणहेतु विरुद्धव्याप्य ३. अकार्यकारणहेतु १२. व्यापककारण(i) व्याप्यहेतु विरुद्धव्याप्य (ii) सहचरहेतु १३. कारणविरुद्धसहचर ९० (iii) पूर्वचरहेतु १४. व्यापकविरुद्धसहचर ९० Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001102
Book TitlePramana Pariksha
Original Sutra AuthorVidyanandacharya
AuthorDarbarilal Kothiya
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1977
Total Pages212
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, Nyay, P000, & P035
File Size13 MB
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