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८ : प्रमाण-परीक्षा इससे पूर्व स्याद्वाद-महाविद्यालय वाराणसीमें अध्ययनके समय हमारे अत्यन्त निकट एवं शिष्य जैसे रहे हैं, हम उनके प्रति भी आभार प्रकट करते हैं।
विद्वद्वर पं० अमृतलालजी शास्त्री जैनदर्शन-साहित्याचार्य अध्यक्ष जैनदर्शन विभाग, सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय, वाराणसीने अपना महत्त्वपूर्ण प्राक्कथन लिखकर हमें आभारी बनाया है। डॉ० कस्तूरचन्द्रजी कासलीवाल जयपुर एवं बा० पन्नालालजी अग्रवाल दिल्लीके भी हम कृतज्ञ हैं, जिन्होंने सम्बन्धित पाण्डुलिपियोंके प्राप्त कराने में सहयोग प्रदान किया। पार्श्वनाथ-निर्वाण-सप्तमी वी० नि० सं० २५०३,
-दरबारीलाल कोठिया २१ अगस्त, १९७७, वाराणसी-५
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