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उदन्वच्छिन्ना भूः (अ.) २६४. २१८. | उरसि निहित (अ.) ७१८. ४२१. [बा. रा. अं. १,'लो. ८ ] |
[अ. श. 'लो. ३१] उदाररचना (वि.) ४५७. .२९८. उर्वशी हाप्सराः (वि.) ४. ७. उदितोरुसाद (वि.) ६९४.४१४. [श. प्रा. का. ११. अ. ५ प्रा. १]
[शि. व. स. ९. लो. ७७] | उषःसु वकुराकृष्ट (वि.) २७१. १९०.. उदीच्यच डानिल (वि.) २८९. १९२. | उष्णिहीव संसृतौ (वि.) ३. ७ उदेति सविता (अ). ४४४. २९९. . [छ. शा. भ. २. सू. ४८ ]
[सुभा. २२० ] | फरुद्वन्द्व सरस (वि.) ५०. १८. उद्दण्डोदर पुण्डरीक (वि.) ६७. २२. रुद्वयं कदली (वि.) ५१. १८. उद्दामोत्कलिकां (अ.) ५. ३८. अक्षिताप (वि.) ३९५. २५७.
[र. अं. २. लो. ४] ऋजुतां नयत (अ.) ६१२. ३८१. उद्देशोऽयं सरस (अ.) ३०. ६०.
[कु. सं. स. ४ 'लो. २३ ] उद्धतैनिभृतमेक (अ.) ६९८. ४१५. । एकत्तो रुभइ (वि.) १८७. १६८..
[शि. व. स. १०. *लो. ७६] | एकत्रासनसंगते (अ.) ६९१. ४१३ उद्यता जयिनि (वि.) ३४०. २१०.
[अ. श. 'लो. १९ (१)] उद्ययौ दीधिका (अ.) ३१२. २३५.
एकः शङ्कामहिक्र (वि.) ३३८. २०४. उद्यानानां मूकपुंस्कोकिलत्व(वि.)२७९.१९१ | एकत्रिधा वचसि (वि.) ५७२. ४०२. उन्नतः प्रोलसद्धारः (अ.) ६२. ६८.
एकस्मिञ्शयने (अ.) ९८. १०८. उम्मन्जन्मकर (अ.) २०५. २०१.
[अ. श. "लो. ८३ ] [कि. स. १७. लो. ६३]/ एकस्यामेव तनौ (अ) ५८४. ३७३.
[रु. का. ९. ३७] उपपन्नं ननु (वि.) ३६५. २५१.
| एकं ज्योतिर्दशौ (वि.) २३१. १८४. .. [र. वं. स. १. लो. ६०Jए.
[सु. श. 'लो. १३.] उपरि घनं (अ.) ५४५. ३५४.
एकं ध्याननिमीलनाद् (वि.) १९०. १६८. उपपरिसरं गोदावर्या (अ) ४०४. २६८.
एकाकिन्यपि (अ.) २६. ५९. उप्पह जायाए (वि.) ५४७. ३६०.
[क. व. स. ५०० विद्यायाः.] उपानयन्ती कलहंस (वि.) २६१. १८९.
एकेनाक्ष्णा (वि). १९१. १६९. उपोढरागेंण (अ.) ६०९. ३७८.
[सुभा. १३१६. चन्द्रकस्य ] [ध्व. उ. १. पृष्ठ ५३ (पाणिनः)] एण्यः स्थलीष (वि.) ३
२. १९५. उभौ यदि व्योम्नि (अ.) ५२५. ३४७. | एतत्सुन्दरि (वि.) ९८. २८.
[शि. व. स. ३. 'लो. ८] | एतासां राजति (अ.) २४९, २१४.
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