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७३. एतासां राजति अ. २४९, २१४. | कण्ठस्य तस्याः (वि.) ५४१, ३५७. एतास्ता मलयोपकण्ठ (वि.) ८५, २५: । [कु. सं. स. १. लो. ४२ ] एतां पश्य पुरस्तटीम् (अ.) ६७८,४८७. | कण्ठाश्लेषं (वि.) ६०८, ४५५. एते लक्ष्मण (अ.) १३१, १३२.
[र. अं. ४. *लो. ४] [सदुक्तिकर्णामृत शुभाङ्कस्य ] | कथमवनिप (वि.) १३६, ५०. एते वयममी दाराः (अ.) ६८५, ४०९; | कदा नौ संगमो (अ.) ५६, ६६. . (वि.) ४४०, २८६. कनककलश (अ.) ११०, ११५...
[ कु. सं. स. ६. लो. ६३ ] [क. व. स. ४९ वोकस्य ] एत्तो विण सच्चविओ (अ.) ५७२, ३६९. कपाटविस्तीर्ण (अ.) ३८३, २६४. एदहमित्तत्थणिया (अ.) ५२, ६५.
[शि. व. स. ३. लो. १३ ] एमे अ जणो (वि.) ३४२, २१६. | कपोले जानक्या (अ.) ६८१, ४०८. एवमालि निगृहीतसाध्वसं (अ.)१२६,१३०. | |
(वि.) २३७, १८६. [कु. सं. स. ८. 'लो. ५] [हनुमन्नाटक अं. ३. 'लो. ५० ] एवमुक्तो मन्त्रिमुख्यैः (अ.) २५८, २१६. | कपोलफलकां (अ.) ५३०, ३४९. एवंवादिनि देवर्षों (अ.) १३३, १३३.
[उ. लं. ल. वृ. वर्ग ३. ] [ कु. सं. स. ६. 'लो. ८४ ] | कमनेकतमादानं (वि.) ५२९, ३२६. एष कुरुसन्धानममृष्यमाणः (वि.) ५८९. [रु. का. लं. अ. ४. श्लो. १३]
४५०. [वे. सं. प्रस्तावना ] | कमलदलैरधरैः (अ.) ५३२. ३४७. एष ब्रह्मा सरोजे (वि.):०, १२.
[रु. का. ८-३१.] [र. अं. ४. लो. ११] | कमलिनीमलिनी दयितं (वि.) ४७८,३०६. एहि गच्छ (अ.) १९५. १६५.
[रु. का. अ. ३. श्लो. ५७] [सुभाषितावली ३१६८ व्यासमुनेः ] | कमले इव लोचनं अ. २०६, २०१. एत्येहि वत्स (वि.) १६५, १४१. करकिशलयं (अ.) ७३५, ४२९. [म. च. अं. १. 'लो. ५५]
[अ. श. श्लो. ९०.] ऐरावणं स्पृशति (अ). ५५७, ३६४. करभाः शरभाः (वि.) ३१३, १९५..
- [ हरविलास ] | करिष्यसे यत्र (वि.) ६१९, ४६०. ओमित्येतत्परं (वि.) ६०९, ४५६. . [कि. अ. स. १६. श्लो. २] औत्सुक्यगर्भा (वि.) ५४९, ३६१. करिहस्तेन संबाध (अ.) ३०३, २३१. भौत्सुक्येन कृतत्वरा (अ.) १८५, १६०. | करेण ते रणे (अ.) ४५८, ३०२.
[र. अं. १. लो. २] [का. द. परि ३. श्लो. २६ ] कः कः कुत्र (अ.) २४४. २१३. करोषि तास्त्वम् (वि) ५२२, ३२१. क: क्षमेत तवानुजः (वि.) ३८७, २५४. ।
[ दें. श. श्लो. १..]
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