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अश्लिष्टभूमि (अ) १५०. १३९. इयं सा लोलाक्षी (वि.) १८८. १६८.
[शि. व. स. ३. लो. ७२ ] ईदृशस्य भवतः (वि.) ४१५ २७९. आ लेषिणः पृथु (वि.) २८५. १९२. | [शि. व. स. १०. लो. ७७.] आलेषे प्रथमं (वि.) १७२. १४६. | ईषन्मीलित (अ.) ७३०. ४२७. . सासमुद्रक्षितीशानां (वि). ३८२. २५३. । ईसाकलुसस्स (वि.) १४५. ७६.
[र. वं. स. १लो . ५] | उचिणसु (अ.) २०. ५५. . . आसाइयं (अ.) १६. ५४.
........ . [ स. श. ९५९ ] . [स. श. ९५८ ]| उत्कण्ठा परितापो (अ.) ६४०. ३९२. आसीदस्ति भविष्यतीह (वि.) ७३. २३. रु. का. लं. अ. ७,'लो. ५५] आसीइत्यो हयग्रीवः (वि.) ११६. ३१. उत्कम्पिनी भय (अ.) ८९. ८३..
....... [यग्रीववध . ] | उत्कृत्योत्कृत्य (अ.) ११५. ११९; १३९. आसीदानमंत्रेति (वि.) ५७५. ४०३. | १३५ [ मा. मा. अं. ५. लो, १६] आसीत्राथ पितामही (वि.) ५५४. ३८१. उत्खातनिर्मल (वि.) ८२. २५. . आस्तीकोऽस्ति (वि.) २१०. १७६. उत्तानोच्छून (अ.) ३०४. २३१. आस्थानकुहिम (वि.) ८३. २५. उत्तालताडको (अ.) ६७७. ४०७. . आहतं कचतटे (वि.) ४१३. २७९.
[म. च. अं. १.लो. ३७] ... ! शि. व. स. १०. लो. ७४] | उत्तिष्ठन्त्या रतान्ते (अ.) ७३६. ४२९. आहूतस्याभिषेकाय (अ.) ६८३. ४०९.
(वि.) ३५५. २४८. आहूतेषु विहंग (अ.) २३०. २०८.
[ वे. सं. अं. १. लो. ३] . [भल्लट. श. 'लो. ६९] | उत्पक्ष्मणो (वि.) १७१. १४५. इतस्ततो भषन् भूरि (वि.) ६१५. ४५७ [अ. शा. अं. ४. *लो. १४]
[ह. वि.] उत्पत्तिर्जमदग्नितः (अ.) ६८६. ४०९. इतः स दैत्यः (अ.) ५३. ६५.
[म. च. अं. २. लो. ३६] [कु. सं. स. २. लो. ५५ ] / उत्फुल्लकमल (अ.) २६६. २१९. इति विकमति (वि.) २०३. १७४
[नागानन्द अं. १. लो. १३] इतो वसति केशवः (अ.) ५६५. ३६७. | उत्सितस्य तपः (अ.) १२०. १२८..
- [भ. नी. श. श्लो. ६७] [म. च अं. २. लो. २२.] इंदं ते केनोक्तं (अ.) ४०३. २६७. उदयति विततोल (अ.) ५७६. ३७०. इद भासां भर्तु (वि.) २४२. १८५. | [शि व. स. ४. 'लो. २०] इन्द्रस्त्वं तव बाहू (अ.) ५४८. ३५२. | उदयो:मृत एष (वि.) ५९८. ४५३. इयं गेहे लक्ष्मी (अ.) ६९०. ४१२. । [र. अं. ३. *लो. १२]
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