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________________ अंगविजापइएण्यं ४४ चौवालीसवाँ प्रवास अद्धाकालाध्याय १९२-९३ ४५ पैंतालीसवाँ प्रवेश अध्याय १९३-९४ इसमें अनेक प्रकारके यान, भाण्डोपकरणादिके नामोंका संग्रह है ४६ छियालीसवाँ प्रवेशनाध्याय १९५-९७ ४७ सैंतालीसवाँ यात्राध्याय १९८-९९ ४८ अड़तालोसवाँ जयाध्याय १९९-२०१ ४९ उनचासवाँ पराजयाध्याय २०१-२०२ ५० पचासवाँ उपद्रुताध्याय २०२-२०४ इस अध्यायमें कितनेक रोगोंके नाम उल्लिखित हैं ५१ इक्कावनवाँ देवताविजयाध्याय २०४-२०६ ५२ बावनवाँ नक्षत्रविजयाध्याय २०६-२०९ इसमें नक्षत्रों के नाम है ५३ त्रेपनवाँ उत्पाताध्याय २१०-२११ ५४ चौपनवाँ सारासार अध्याय २११-२१३ ५५ पचपनवाँ निधान अध्याय २१३-२१४ विविध प्रकारके निधानस्थान और निधान रखनेके भाजनोंके नाम ५६ छप्पनवाँ निर्विसूत्राध्याय २१४-२१६ ५७ सत्तावनवाँ नष्टकोशकाध्याय २१६-२२१ इसमें आहार, अनाज, भाजन, धातु, भाण्डोपकरण और गृहादिके नामोंका संग्रह है २२३-२३४ ५८ अट्ठावनवाँ चिंतिताध्याय इस अध्यायमें उत्सव, देवता, मनुष्य, तिर्यग्जातीय जीवों के नाम भेद-प्रभेद वर्णित हैं Jain Education Intemational For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001065
Book TitleAngavijja
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPunyavijay, Vasudev S Agarwal, Dalsukh Malvania
PublisherPrakrit Granth Parishad
Publication Year1957
Total Pages487
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Jyotish, & agam_anykaalin
File Size15 MB
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