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________________ १६३-१६४ १६८-१६५ १६५-१६६ १६७-१६८ ११६८-७० विषयानुक्रम ३१ इक्तीसवाँ वस्त्रयोनि अध्याय इस अध्यायमें वस्त्र के प्रकारोंका उल्लेख है ३२ बत्तीसवाँ धान्ययोनि अध्याय इस अध्यायमें विविधजातीय धान्य-अनाजके नामों का उल्लेख है ३३ तेत्तीसवाँ यानयोनि अध्याय इस अध्यायमें प्राचीन काल में काममें लाये जानेवाले अनेकविध जलयान और स्थलयानों के नामों का उल्लेख पाया जाता है ३४ चौंतीसवाँ संलापयोनि अध्याय ३५ पैंतीसवाँ प्रजाविशुद्धि अध्याय संततिविषयक फलादेश पृ० १६८-६९ में प्राकृत क्रियापदोंका विपुल संग्रह है ३६ छत्तीसवाँ दोहद अध्याय पृ० १७१ में प्राकृत क्रियापदोंका संग्रह है ३७ सैंतीसवाँ लक्षण अध्याय ३८ अड़तीसवाँ व्यंजनाध्याय ३९ उगाचालीसवाँ कन्यावासनाध्याय ४० चालीसवाँ भोजनाध्याय इस अध्यायमें विविध प्रकारके भोज्य पदार्थ एवं उत्सवादिके नाम हैं ४१ इकतालीसवाँ वरियगंडिकाध्याय इस अध्यायमें मूर्तियों के प्रकार, प्राकृत क्रियापद, आभरण और अनेक प्रकारके रत-सुरत क्रीडाओं के नामोंका संग्रह है ४२ बयालीसवाँ स्वप्नाध्याय ४३ तेंतालीसवाँ प्रवासाध्याय १७०-७२ १७३-७४ १७४-७५ १७६-७६ १७६-८२ १८२-८६ १८६-९१ १९१-९२ Jain Education Intemational For Private & Personal Use Only For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001065
Book TitleAngavijja
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPunyavijay, Vasudev S Agarwal, Dalsukh Malvania
PublisherPrakrit Granth Parishad
Publication Year1957
Total Pages487
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Jyotish, & agam_anykaalin
File Size15 MB
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