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________________ ३३ विषयानुक्रम इस अध्यायमें उत्सव, देवता. मनुष्यजातिके नामादि हैं; तिर्यग्योनिक क्षुदजन्तु, छोटे मोटे जलचर, स्थलचर, पशु-पक्षी, मत्स्यजाति, सर्पजाति, चतुष्पद, द्विपद, अपद प्राणियों के नामों का संग्रह है, अनेक प्रकारके आसन, भाण्डोपकरण, पुष्प-फल-वृक्ष, रसद्रव्य, तैलभेद, अनाज, वस्त्रप्रकार, भाजन, धातुभेद, प्रादेशिकविभाग, आमरण आदिको द्यातित करनेवाले नाम एवं शब्दोंका विपुल संग्रह है २३५-२६२ २३७-३८ २३८ २४६ ५९ उनसठवाँ कालाध्याय सत्ताईस पटलोंमें-विभागों में कालाध्यायका कालविषयक फलादेशका निरूपण चतुर्थ और पंचम पटलमें क्षुद्रजन्तु और वृक्ष-लतादिके नाम हैं. छट्टे और सातवें पटलमें पशु-पक्षी एवं वृक्षादिके नाम है सतरहवें पटलमें भोज्यपदार्थों के नाम हैं अठारहवें पटल में भक्तवेला, मागधवेला, धवेला, आलोलीवेला, कूरवेला, गंडीवेला, प्रातराशवेला, भक्तवेला, यवागूवेला आदि वेलाओंके अर्थात् कार्यकालके नाम हैं बाईसवाँ अर्धप्रमाण पटल चौबीसवाँ वर्षावास-वृष्टिपटल ६ ० साठवाँ पूर्वमेवविपाकाध्याय-पूर्वार्ध ६. साठवाँ उपपतिविजयाध्याय-उत्तरार्ध इस अध्यायमें जीवजातिके अनेक प्रकार, उनके नाम और जन्मान्तरमें उत्पत्ति विषयक फलादेश वर्णित हैं। अंगविद्याविषयक जप्यविद्या भी है। २४७ २५०-२५३ २५४-२५७ २६२-२६३ २६४-२६९ Jain Education Intemational For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001065
Book TitleAngavijja
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPunyavijay, Vasudev S Agarwal, Dalsukh Malvania
PublisherPrakrit Granth Parishad
Publication Year1957
Total Pages487
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Jyotish, & agam_anykaalin
File Size15 MB
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