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________________ [चार तीर्थंकर : ७६ पाता है | पौराणिक वर्णन की विशेष अस्वाभाविकता और असंगति को हटाने के लिए जैन- ग्रन्थकारों का यह प्रयास था किन्तु महावीरजीवन में स्थान पाये हुए पौराणिक घटनाओं के वर्णन में कुछ अंशों में एक प्रकार की अस्वाभाविकता एवं असंगति रह ही जाती है और इसका कारण तत्कालीन जनता की रुचि है । ३. कथाग्रन्थों के साधनों का पृथक्करण और उनका औचित्य - अब हम तीसरे दृष्टिबिन्दु पर आते हैं । इसमें विचारणीय यह है कि “जनता में धर्मभावना जागृत रखने तथा सम्प्रदायका आधार मजबूत करने के लिए उस समय कथाग्रन्थों या जीवनवृत्तान्तों में मुख्य रूप से किस प्रकार के साधनों का उपयोग किया जाता था ? उन साधनों का पृथक्करण करना और उनके औचित्य का विचार करना ।" उपर जो विवेचना की गई है, वह प्रारम्भ में किसी भी अतिश्रद्धालु साम्प्रदायिक भक्त को आघात पहुँचा सकती है, यह स्पष्ट है क्योंकि साधारण उपासक और भक्त जनता की अपने पूज्य पुरुष के प्रति जो श्रद्धा होती है वह बुद्धिशोधित या तर्कपरिमार्जित नहीं होती । ऐसी जनता के ख्याल से शास्त्र में लिखा हुआ प्रत्येक अक्षर त्रैकालिक सत्यस्वरूप होता है । इसके अतिरिक्त जब उस शास्त्र को त्यागी गुरु या विद्वान् पंडित बाँचता है तब तो इस भोली जनता के मन पर शास्त्र के अक्षरार्थ की यथार्थता की छाप वज्रलेप सरीखी हो जाती है । ऐसी अवस्था में शास्त्रीय वर्णनों की परीक्षा करने का और परीक्षापूर्वक उसे समझने का कार्य अत्यन्त कठिन हो जाता है, और विशिष्ट वर्ग के लोगों के गले उतरने में भी बहुत समय लगता है और वह बहुत सा बलिदान मांगता है । ऐसी स्थिति सिर्फ जैन- सम्प्रदाय की ही नहीं किन्तु संसार में जितने भी सम्प्रदाय हैं सबकी यही दशा है और इस बात का समर्थक इतिहास हमारे सामने मौजूद है । यह युग विज्ञानयुग है । इसमें दैवी चमत्कार या असंगत कल्पनाएँ टिक नहीं सकतीं । अतएव इस समय के दृष्टिकोण से प्राचीन महापुरुषों के चमत्कारप्रधान जीवनचरितों को पढ़ें तो उनमें बहुत Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001054
Book TitleChar Tirthankar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSukhlal Sanghavi, Shobhachad Bharilla, Bhavarmal Singhi, Sagarmal Jain, Dalsukh Malvania
PublisherParshwanath Vidyapith
Publication Year1989
Total Pages158
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, History, & E000
File Size8 MB
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