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[चार तीर्थंकर : ७३
तुलना
ब्राह्मण पुराण
जैनग्रन्थ(१) विष्णु के आदेश से (१) इसमें संहरण की बात योगमाया शक्ति के हाथों बलभद्र नहीं है, बल्कि रोहिणी के गर्भ का देवकी के गर्भ में से रोहिणी में सहज जन्म लेने की बात है । के गर्भ में संहरण होता है। -हरिवंश, सर्ग ३२, श्लो०
-भागवत, स्कन्ध १०,अ० १-१०, पृ० २३१ २, श्लो० ६-२३, पृ०७६६
(२) देवकी के जन्मे हुए (२) वसुदेव हिण्डी (पृ० बलभद्र से पहले के छः सजीव ३६८-३६६) में देवकी के छः बालकों को कंस पकट-पटक कर पूत्रों को कंस ने मार डाला, मार डालता है।
ऐसा स्पष्ट निर्देश है । परन्तु --भागवत, स्कन्ध १०, अ० जिनसेन एवं हेमचन्द्र के वर्णन २, श्लो० ५
के अनुसार देवकी के गर्भजात छः सजीव बालकों को एक देव, अन्य शहर में, जैन कुटुम्ब में सुरक्षित पहुंचा देता है और उस बाई के मृतक जन्मे हुए छः बालकों को क्रमशः देवकी के पास लाकर रखता है। कंस
रोष के मारे जन्म से ही उन मृतक बालकों को पछाड़ता है
और उस जैन गृहस्थ के घर पले हुए छः सजीव देवकी-बालक आगे जाकर तीर्थंकर नेमिनाथ के समीप दीक्षा लेकर मोक्ष जाते हैं।
-हरिवंश, सर्ग ३५,श्लो १-३५, पृ० ३६३-३६४
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