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________________ ७४ : धर्मवीर महावीर और कर्मवीर कृष्ण ] (३) विष्णु की योगमाया यशोदा के यहाँ जन्म लेकर वसुदेव के हाथों देवकी के पास पहुँचती है और उसी समय देवकी के गर्भ से उत्पन्न हुए कृष्ण वसुदेव के हाथों यशोदा के यहाँ सुरक्षित पहुंचते हैं। आई हुई पुत्री को मार डालने के लिए कंस पटकता है । पर वह योगमाया होने के कारण निकल भागती है और कालीदुर्गा आदि शक्ति के रूप में पूजी जाती है । 1 - भागवत दशमस्कन्ध, अ० ४, श्लो० ० २ १०, पृ० ८०६ (४) कृष्ण की बाललीला और कुमारलीला में जितने भी असुर कंस द्वारा भेजे हुए आये और उन्होंने कृष्ण को, Jain Education International ( ३ ) यशोदा की तत्काल जन्मी हुई पुत्री कृष्ण के बदले देवकी के पास लाई जाती है । कंस उस जीवित बालिका को मारता नहीं है । वसुदेव हिण्डी के अनुसार नाक काटकर और जिनसेन के कथनानुसार नाक सिर्फ चपटा करके उसे छोड़ देता है । यह बालिका आगे चलकर तरुण अवस्था में एक साध्वी से जैनदीक्षा ग्रहण करती है और जिनसेन के हरिवंश के अनुसार तो यह साध्वी ध्यान अवस्था में मरकर सद्गति पाती है, लेकिन उसकी अँगुली के लोहू भरे हुए तीन टुकड़ों से, वह बाद में त्रिशूलधारिणी काली के रूप में विन्ध्याचल में प्रतिष्ठा पाती है । इस काली के समक्ष होने वाले भैंसों के वध को जिनसेन ने खूब आड़े हाथों लिया है जो आज तक भी विन्ध्याचल में होता है । - हरिवंश, सर्ग ३६, श्लो० १-५१, पृ० ४५८-४६१ (४) ब्राह्मणपुराणों में कंस द्वारा भेजे हुए जो असुर आते हैं वे असुर, जिनसेन के हरिवंशपुराण के अनुसार कंस द्वारा For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001054
Book TitleChar Tirthankar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSukhlal Sanghavi, Shobhachad Bharilla, Bhavarmal Singhi, Sagarmal Jain, Dalsukh Malvania
PublisherParshwanath Vidyapith
Publication Year1989
Total Pages158
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, History, & E000
File Size8 MB
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