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________________ श्राचार्य मल्लवादी का नयचक्र ३०५ स्वरूप फलित होता है वह ऐसा है कि प्रारम्भ में 'विधिनियम' इत्यादि एक गाथासूत्र है । और उसी गाथासूत्र के भाष्य के रूप में नयचक्र का समग्र गद्यांश है । स्वयं प्राचार्य मल्लवादी ने अपनी कृति को पूर्वमहोदधि में उठने वाले नयत रंगों के बिन्दुरूप कहा है- पृ. ६ । नयचक्र के इस स्वरूप को समक्ष रखकर उक्त पौराणिक कथा का निर्माण हुआ जान पड़ता है । इस ग्रन्थ का 'पूर्वगत' श्रुत के साथ जो सम्बन्ध जोड़ा गया है, वह उसके महत्त्व को बढ़ाने के लिए भी हो सकता है और वस्तुस्थिति का द्योतन भी हो सकता है, क्योंकि पूर्वगत श्रुत में नयों का विवरण विशेष रूप से था हो । और प्रस्तुत ग्रन्थ में पुरुष - नियति आदि कारणवाद की जो चर्चा है वह किसी लुप्त परंपरा का द्योतन तो अवश्य करती है; क्योंकि उन कारणों के विषय में ऐसी विस्तृत और व्यवस्थित प्राचीन चर्चा अन्यत्र कहीं नहीं मिलती । श्वेताश्वतर उपनिषद् में कारणवादों का संग्रह एक कारिका में किया गया है; किन्तु उन वादों की युक्तियों का विस्तृत और व्यवस्थित निरूपण अन्यत्र जो दुर्लभ है, वह इस नयचक्र में ही मिलता है । इस दृष्टि से इसमें पूर्व परंपरा का अंश सुरक्षित हो तो कोई आश्चर्य नहीं और इसी लिए इसका महत्त्व भी अत्यधिक है । पूर्वगत श्रुत के पूर्वगत यह अंश विषय ज्ञान है । आचार्य मल्लवादी ने अपनी कृति का सम्बन्ध साथ जो जोड़ा है वह निराधार भी नहीं लगता । दृष्टिवादान्तर्गत है । ज्ञानप्रवाद नामक पंचम पूर्व का नय यह श्रुतज्ञान का एक अंश माना जाता है । इस दृष्टि से नयचक्र का आधार पूर्वगत श्रुत हो सकता है । किन्तु पूर्वगत के अलावा दृष्टिवाद का 'सूत्र' भी नयचक्र की रचना में सहायक हुआ होगा । क्योंकि 'सूत्र' के जो बाईस भेद बताए गए हैं उन में ऋजुसूत्र एवंभूत और समभिरूढ़ का उल्लेख है । और इन ही बाईस सूत्रों को स्वसमय, आजीवकमत और त्रैराशिकमत के साथ भी जोड़ा गया है" । यह सूचित १६ श्वेताश्वतर १. २. । १७ देखो, नंदीसूत्रगत दृष्टिवाद का परिचय-सूत्र ५६ । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001049
Book TitleAgam Yugka Jaindarshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDalsukh Malvania
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year1990
Total Pages384
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, Education, B000, & B999
File Size17 MB
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