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________________ ७६ आगम-युग का अन-दर्शन अवस्था से कर्मकर्तृत्व अवस्था का भेद होने पर भी ऐकान्तिक उच्छेदवाद की आपत्ति इसलिए नहीं आती कि भेद होते हुए भी जीवद्रव्य दोनों अवस्था में एक ही मौजूद है । द्रव्य-विचार : द्रव्य और पर्याय का भेदाभेद-भगवती में द्रव्य के विचार प्रसंग में कहा है कि द्रव्य दो प्रकार का है--- १. जीव द्रव्य . २. अजीव द्रव्य । अजीव द्रव्य के भेद-प्रभेद इस प्रकार हैं--- अजीव द्रव्य रूपी प्ररूपी १. पुद्गलास्तिकाय १. धर्मास्तिकाय २. अधर्मास्तिकाय ३. आकाशास्तिकाय ४. अद्धासमय सब मिलाकर छ: द्रव्य होते हैं । १ धर्मास्तिकाय, २ अधर्मास्तिकाय, ३ आकाशास्तिकाय, ४ जीवास्तिकाय, ५ पुद्गलास्तिकाय और ६ काल (अद्धासमय) । इनमें से पाँच द्रव्य अस्तिकाय कहे जाते हैं। क्यों कि उनमें प्रदेशों के समूह के कारण अवयवी द्रव्य की कल्पना संभव है । पर्याय-विचार में पर्यायों के भी दो भेद बताए हैं..... १ जीव-पर्याय और २ अजीव-पर्याय ५८ भगवती २५.२.; २५.४. • ५९ भगवती २.१०.११७ । स्थानांग सू० ४४१. ६° भगवती २५.५. । प्रज्ञापना पद ५. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001049
Book TitleAgam Yugka Jaindarshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDalsukh Malvania
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year1990
Total Pages384
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, Education, B000, & B999
File Size17 MB
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