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टिप्पणानि । [पृ० २५. पं० १२पृ० २५. पं० १२. 'अमेद: तुलना-न्यायकु० पृ० १५४. पं० १३ ।
पृ० २५. पं० १८ 'किञ्च' इस पंक्तिमें जो पाठशुद्धि की है उसके भाधारके लिए देखो-न्यायकु० पृ० १५४. पं० २६ ।।
पृ० २५. पं० २३. 'प्रतिपादयिष्यते-देखो, का० १६.६१-६ ।
पृ० २५. पं० २४. 'आत्मख्याति' आत्मख्यातिके समर्थनके लिये देखो, प्रमाणवा० अलं० मु० पृ० २२ । खण्डनके लिये देखो-न्यायमं० पृ० १६४ । तात्पर्य० पृ० ८५ । न्यायकु० पृ० ६२ । स्याद्वादर० पृ० १२८ ।
उपाध्याय यशो विजयजी ने ख्यातिवादका एक खतंत्र प्रकरण बनाकर अष्टसहस्रीके विवरणमें सन्निविष्ट किया है-"यशोविजयनामेत्यं साधुायविशारदः । स्पष्टं निष्टंकयामास स्यातीरष्टगरिष्टधीः॥१॥" - अष्टस० वि० पृ० ३१८ । पृ० २५. पं० २५. 'बाधकं तुलना
"बाधकः किं तदुच्छेदी किंवा ग्राह्यस्य हानिकृत् ।
ग्राह्याभावेशापको वा त्रयः पक्षाः परः कुतः॥" इन विकल्पोंके द्वारा प्रज्ञा करने विस्तारसे बाधेकका निराकरण किया हैं-प्रमाणवा० अलं० मु० पृ० ४२ । सन्मति० टी० पृ. १२. पं० १२ । पृ० २५. पं० २८ 'चक्रकम्' देखो-पृ० २१. पं० २२ ।
पृ० २५. पं० २९. 'समानजातीयम्' ये विकल्प बाधकज्ञानके हैं। संवादकज्ञानके विषयमें मी ऐसे ही विकल्प करनेकी प्रथा है । देखो, सन्मति० टी० पृ० ५. पं० ३५। और प्रस्तुत । अन्य पृ० २२.६६-७।
पृ० २६. पं० १९ 'निराकरिष्यमाणत्वात् । देखो, का० २५ । पृ० २६. पं० २२. 'प्रमाणं' प्रमाणका नियामक तत्त्व क्या हो सकता है-इस प्रश्नकी जैसी चर्चा शान्त्या चार्य ने प्रस्तुतमें की है वैसी चर्चा सन्म ति टीका में अभय देव ने मी विस्तारसे की है-सन्मति० टी० पृ० ५।
पृ० २६. पं० २३. 'प्रसिद्धानि सिद्ध से न दि वा करने इस कारिकामें पूर्वपक्ष किया है कि प्रमाण और तत्कृत व्यवहार जब प्रसिद्ध ही है तब प्रमाणशास्त्र या प्रमाणके लक्षणका प्रणयन करना निरर्थक है। फिर उसका उत्तर उन्होंने दिया है कि
"प्रसिद्धानां प्रमाणानां लक्षणोको प्रयोजनम् ।
तल्यामोहनिवृत्तिः स्थान्यामूढमनसामिह ॥" न्याया० ३ । प्रमाण और तस्कृत व्यवहार प्रसिद्ध होने पर भी कुछ लोगोंको तद्विषयक मोह बना ही रहता है । इसी मोहकी व्यावृत्ति करनेके लिये शासरचना आवश्यक है।
शान्त्या चार्य वार्तिककार हैं अत एव उन्होंने भी सिद्ध से न के उक्त कथनका स्पष्टीकरण किया है।
शासके प्रतिपायके विषयमें शास्त्रकारको सर्वप्रथम ऐसी शंकाका समाधान करना पड़ता है। क्योंकि जितने मी पुरुषकृत आगम होते हैं उनका विषय प्रसिद्धसा ही
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