________________
शुद्धिपत्रक।
व्यतिरेका सिद्धता -
............
२२.२४
त्रिचे विध (धै)
व्यतिरेको 'सिक्साभ्यता' ऐसा पागन्तर है
..यही मूल में लेना ठीक है। दृष्टेः । कस्यचित्तु 'दृष्टेः कस्यचिजाति' पाठान्तरनि
र्दिष्ट पाठ मूलमें लेमा ठीक है। निरस्तत्वत् निरस्तत्वात्
मनःसंविति मनः संवि० ११
न्याया०टि० न्याया०टी० प्रमाणलक्ष्म प्रमालक्ष्म । प्रमाण
प्रमाणवा०
(८) १८१ से १८७ में
कर्ण०३ कर्ण०१ १८५
वचनादय अन. वचनादयोऽन. १८५
व्यतिव्यक्ति व्यक्ति 'इमा 'य इमा ख० ३.२८१ ख० १.२८७
प्रभा २१४
वस्तुनः
वस्तुतः २१५
कल्पना
कल्पनामू० २१२
योगि २५६
प्रामाको
प्राभाको २५७
मान उपांत्यमें बड़ा दो"दस य नपुंसएस पीस इस्थियात य । पुरिसेड महसयं समयेणेगेण सिमाई ॥"
उत्तराध्ययन ३६.५२
३
०
. प्रमा
REETTESHI
बोगि
भान
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org