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पइन्नयसुतेसु रित्तएं ? गोयमा ! नो इणढे समढे । से केणटेणं भंते ! एवं वुच्चइ-जीवे णं गब्भगए समाणे नो पहू मुहेणं कावलियं आहारं आहारित्तए १ गोयमा ! जीवे गं गब्भगए समाणे सबओ आहारेइ, सव्वओ परिणामेइ, सव्वओ ऊससइ, सव्वओ नीससइ अभिक्खणं आहारेइ, अभिक्खणं परिणामेइ, अभिक्खणं ऊससइ, अभिक्खणं नीससइ, आहच आहारेइ, आहच्च परिणामेइ, आहच्च ऊससइ, आहच नीससइ; से माउजीवरसहरणी पुत्तजीवरसहरणी माउजीवपडिबद्धा पुत्तंजीवंफुडा तम्हा आहारेइ तम्हा परिणामेइ, अवरा वि य णं पुत्तजीवपडिबद्धा माउजीवफुडा तम्हा चिणाइ तम्हा उवचिणाइ, से एएणं अटेणं गोयमा! एवं वुच्चइ-जीवे णं गब्भगए
समाणे नो पहू मुहेणं कावलियं आहारं आहारेत्तए ॥ २१॥ [भगवती १० श० १ उ० ७ सूत्रं १५] ॥
३३३. जीवे णं भंते ! गब्भगए समाणे किमाहारं आहारेइ ?, गोयमा ! जं से माया नाणाविहाओ रसविगैईओ तित्त-कडुय-कसायंबिल-महुराई व्वाई आहारेइ तओ एगदेसेणं ओयमाहारेइ ॥ २२॥ [भगवती श० १ उ० ७ सू०१३]
[गा. २३-२४. गल्भत्थस्स जीवस्स आहारो] ३३४. तस्स फलबिंटसरिसा उप्पलनालोवमा भवइ नाभी।
- रसहरणी जाणीए सयाइ नाभीए पडिबद्धा ॥२३॥ ३३५. नाभीए ताओ गब्भो ओयं आइयइ अण्हयंतीए ।
ओयाए तीए गब्भो विवड्ढई जाव जाओ ति ॥ २४॥
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[सु. २५. उप्पनजीवं पडुच्च माउ-पिउअंगनिरूवणं] ३३६, कइ णं भंते ! माउअंगा पण्णत्ता १ गोयमा ! तओ माउअंगा पण्णत्ता, तं जहा-मंसे १ सोणिए २ मत्थुलुंगे ३। कइ णं भंते! पिउअंगा पण्णता? गोयमा ! तओ पिउँअंगा पण्णत्ता, तं जहा-अद्वि १ अद्विमिंजा २ केसमंसुरोम-नहा ३ ॥२५॥ [भग० श० १ उ० ७ सू०१६-१७॥
१. °ए ? नो इणटे समढे गो० ! से सं० हं० ॥ २. इणमटे स° पु० हं० ॥ ३. पुत्तजीवफुडा सं० ६० ॥ ४. सेतेणऽटेणं जाव नो पभू भगवत्या पाठः ॥ ५. 'गईमो माहारमाहारेइ भगवत्या पाठः ॥ ६. लिंगे सं० । स्थुलंगे पु० ॥ ७-८. पिइअंगा सं० ॥
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