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२. तंदुलवेयालियपइण्णयं
. [सु. गा. १७-१९. गम्भुप्पत्ती गब्भगयजीववियासकमो य] ३२८. इमो खलु जीवो अम्मा-पिउसंजोगे माऊओयं पिउसुक्कं तं तदुभयसंसह कलुस किब्बिसं तप्पढमयाए आहारं आहारित्ता गब्भत्ताए वक्कमइ ॥१७॥
[भगवती श० १ उ० ७ सू० १२]
३२९. सत्ताहं कललं होइ, सत्ताहं होइ अब्बुयं ।
अब्बुया जायए पेसी, पेसीओ वि घणं भवे ॥१८॥ ३३०. तो पढमे मासे करिसूणं पलं जायइ १ । बीए मासे पेसी संजायए घणा २। तईए मासे माऊए डोहलं जणइ ३। चउत्थे मासे माऊए अंगाई पीणेइ ४। पंचमे मासे पंच पिंडियाओ पाणिं पायं सिरं चेव निव्वत्तेइ ५। छठे मासे पित्तसोणियं उवचिणेइ अंगोवंगं च निव्वत्तेइ -६। सत्तमे मासे सत्त सिरासयाइं १० पंच पेसीसयाई नव धमणीओ नवनउयं च रोमकूवसयसहस्साई ९९००००० निव्वत्तेइ विणा केस-मंसुणा, सह केस-मंसुणा अद्भुट्टाओ रोमकूवकोडीओ निव्वत्तेइ ३५००००००,७ । अट्ठमे मासे वित्तीकप्पो हवइ ८ ॥१९॥
[सु. २०. गभगयस्स जीवस्स आहारपरिणामो] ३३१. जीवस्स णं भंते! गब्भगयस्स समाणस्स अस्थि उच्चारे इ वा १५ पासवणे इ वा खेले इ वा सिंघाणे इ वा वंते इ वा पित्ते इ वा सुक्के इ वा सोणिए इ वा १ नो इणढे समढे । से केणटेणं भंते! एवं वुच्चइ-जीवस्स णं गब्भगयस्स समाणस्स नत्थि उच्चारे इ वा जाव सोणिए इ वा ? गोयमा ! जीवे णं गन्भगए समाणे जं आहारमाहारेइ तं चिणाइ सोइंदियत्ताए चक्र्खइंदियत्ताए घाणिदियत्ताए जिभिदियत्ताए फासिंदियत्ताए अट्ठि-अट्टिमिंज-केस-मंसु-रोम-नहत्ताए, से एएणं २० अट्ठणं गोयमा! एवं वुच्चइ-जीवस्स णं गभगयस्स समाणस्स नत्थि उच्चारे इ वा जाव सोणिए इ वा ॥२०॥ [भगवती श० १ उ० ७ सू०१४]
[सु. २१-२२. गब्भगयस्स जीवस्स आहारविही] ३३२. जीवे णं भंते ! गब्भगए समाणे पहू मुहेणं कावलियं आहारं आहा
१. - - एतच्चिह्नान्तर्गतः पाठः सं० प्रतावेव वर्तते। एतत्प्रकीर्णकवृत्तिकृता एष पाठो व्याख्यातो नास्ति ॥२. °क्खुरिदि सं०॥
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