________________
१३७
[सू० १०१-१०३] द्वितीयमध्ययनं द्विस्थानकम् । तृतीय उद्देशकः । दो सुवग्गू ३०, दो गंधिला ३१, दो गंधिलावती ३२,
दो खेमाओ १, दो खेमपुराओ २, दो रिट्ठाओ ३, दो रिट्ठपुराओ ४, दो खग्गीतो ५, दो मंजूसाओ ६, दो ओसधीओ ७, दो पुंडरिगिणीओ ८, दो सुसीमाओ ९, दो कुंडलाओ १०, दो अपराजियाओ ११, दो पभंकराओ १२, दो अंकावईओ १३, दो पम्हावईओ १४, दो सुभाओ 5 १५, दो रयणसंचयाओ १६, दो आसपुराओ १७, दो सीहपुराओ १८, दो महापुराओ १९, दो विजयपुराओ २०, दो अवराजिताओ २१, दो अरयाओ २२, दो असोगाओ २३, दो विगयसोगाओ २४, दो विजयाओ २५, दो वेजयंतीओ २६, दो जयंतीओ २७, दो अपराजियाओ २८, दो चक्कपुराओ २९, दो खग्गपुराओ ३०, दो अवज्झाओ ३१, दो अउज्झाओ ३२, 10
दो भद्दसालवणा, दो गंदणवणा, दो सोमणसवणा, दो पंडगवणाई,
दो पंडुकंबलसिलाओ, दो अतिपंडुकंबलसिलाओ, दो रत्तकंबलसिलाओ, दो अतिरत्तकंबलसिलाओ,
दो मंदरा, दो मंदरचूलिताओ । [सू० १०१] धायइसंडस्स णं दीवस्स वेदिया दो गाउयाई उड्ढमुच्चत्तेणं 15 पण्णत्ता ।
[सू० १०२] कालोदस्स णं समुद्दस्स वेइया दो गाउयाई उहुंउच्चत्तेणं पण्णत्ता।
[सू० १०३] पुक्खरवरदीवडपुरत्थिमद्धे णं मंदरस्स पव्वयस्स उत्तरदाहिणेणं दो वासा पन्नत्ता बहुसमतुल्ला जाव भरहे चेव एरवए चेव, तहेव जाव दो 20 कुराओ पन्नत्ताओ० देवकुरा चेव उत्तरकुरा चेव । तत्थ णं दो महतिमहालया महद्दमा पन्नत्ता, तंजहा-कूडसामली चेव पउमरुक्खे चेव, देवा गरुले चेव वेणुदेवे, पउमे चेव, जाव छव्विहं पि कालं पच्चणुभवमाणा विहरंति ।
पुक्खरवरदीवड्ढपच्चत्थिमद्धे णं मंदरस्स पव्वयस्स उत्तरदाहिणेणं दो वासा पन्नत्ता तहेव, णाणत्तं कूडसामली चेव महापउमरुक्खे चेव, देवा गरुले चेव 25 वेणुदेवे, पुंडरीए चेव ।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org