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________________ [सू० ६९] द्वितीयमध्ययनं द्विस्थानकम् । द्वितीय उद्देशकः । दुविधा नेरइया पन्नत्ता, तंजहा-आहारगा चेव अणाहारगा चेव, एवं जाव वेमाणिया ५। दुविहा णेरड्या पन्नत्ता, तंजहा-उस्सासगा चेव णोउस्सासगा चेव, जाव वेमाणिया ६। दुविहा नेरइया पन्नत्ता, तंजहा-सइंदिया चेव अणिंदिया चेव, जाव 5 वेमाणिया । दुविहा नेरइया पन्नत्ता, तंजहा-पज्जत्तगा चेव अपज्जत्तगा चेव, जाव वेमाणिया ॥ दुविहा नेरइया पन्नत्ता, तंजहा-सन्नि चेव असन्नि चेव, एवं पंचेंदिया सव्वे विगलिंदियवज्जा, जाव वाणमंतरा ९। 10 .दुविधा नेरइया पन्नत्ता, तंजहा-भासगा चेव अभासगा चेव, एवमेगिंदियवज्जा सव्वे १०॥ दुविहा नेरइया पन्नत्ता, तंजहा-सम्मदिट्ठीया चेव, मिच्छादिट्ठीया चेव, एगिदियवज्जा सव्वे ११॥ । दुविहा नेरइया पन्नत्ता, तंजहा-परित्तसंसारिया चेव अणंतसंसारिया चेव, 15 जाव वेमाणिया १२। दुविहा नेरइया पन्नत्ता, तंजहा-संखेजकालसमयट्टितीया चेव असंखेजकालसमयद्वितीया चेव, एवं पंचेंदिया एगिदियविगलिंदियवजा जाव वाणमंतरा १३॥ - दुविहा नेरइया पन्नत्ता, तंजहा-सुलभबोहिया चेव दुल्लभबोहिया चेव, जाव 20 वेमाणिया १४। दुविहा नेरइया पन्नत्ता, तंजहा-कण्हपक्खिया चेव सुक्कपक्खिया चेव, जाव वेमाणिया १५॥ दुविहा नेरइया पन्नत्ता, तंजहा-चरिमा चेव अचरिमा चेव, जाव वेमाणिया १६॥ 25 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001027
Book TitleAgam 03 Ang 03 Sthananga Sutra Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAbhaydevsuri, Jambuvijay
PublisherMahavir Jain Vidyalay
Publication Year2003
Total Pages828
LanguagePrakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Dictionary, & agam_sthanang
File Size39 MB
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