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धर्मामृत ( सागार) अपि च
'भवनमिदमकीर्तेश्चौर्यवेश्यादि सर्वव्यसनपतिरशेषापन्निधिः पापबीजम् । विषमनरकमार्गेष्वग्रयायोति मत्वा.
क इह विशदबुद्धि तमङ्गीकरोति ॥' [ पद्म. पञ्च. १२१७ ] वेश्येत्यादि । एतेन वेश्यादिव्यसनान्यप्यपायावद्यभूयिष्ठत्वादसेव्यानीति लक्षयति । तथा चोक्तं
'याः खादन्ति पलं पिवन्ति मदिरां, जल्पन्ति मिथ्या वचः, स्निह्यन्ति द्रविणार्थमेव विदधत्यर्थप्रतिष्ठाक्षतिम् । नीचानामपि दूरवक्रमनसः पापात्मिकाः कुर्वते, लालापानमहर्निशं न नरकं वेश्यां विहायापरम् ॥' 'रजकशिलासदृशीभिः कुक्कुरकर्पर समानचरिताभिः ।
गणिकाभिर्यदि सङ्गः कृतमिह परलोकवार्ताभिः ॥' [ पद्म. पञ्च. ११२३-२४ ] अपि च
'जात्यन्धाय च दुर्मुखाय च जराजीर्णाभिलाङ्गाय (?) च, ग्रामीणाय च दुःकुलाय च गलत्कुष्टाभिभूताय च । यच्छन्तीषु मनोहरं निजवपुलं (क्षे ) लवश्रद्धया, पण्यस्त्रीषु विवेककल्पलतिकाशस्त्रीषु रज्येत कः ॥' [ 'या दुर्दैहैकवित्ता वनमधिवसति भ्रातृसम्बन्धहीना, भीतिर्यस्यां स्वभावाद्दशनधृततॄणा नापराधं करोति । वध्यालं सापि यस्मिन्ननु मृगवनितामांसपिण्डप्रलोभादाखेटेऽस्मिन् रतानामिह किमु न किमन्यत्र नो यद्विरूपम् ॥ [पद्म. पञ्च. १।२५ ]
जानना कि पाक्षिक श्रावक मन-बहलावके लिए ताश आदि खेल सकता है। प्रारम्भिक श्रावक होनेसे वह अभी उसका त्याग नहीं कर सकता । शायद इसीसे आचार्य अमृतचन्द्रने अनर्थदण्ड त्याग नामक गुणव्रतमें धुतको दूरसे ही छोड़नेकी प्रेरणा की है क्योंकि वह सब अनर्थोकी जड़ है, मायाका घर है और चोरी तथा झूठका स्थान है। इनके बिना जुआरीका काम नहीं चलता। किसीने जुआरीकी संसारमें जीवन बितानेकी दशाका चित्रण करते हुए कहा है कि उसके पास लंगोटीके सिवाय दूसरा वस्त्र नहीं होता, निकृष्ट अन्नका भोजन करता है, जमीनपर सोता है, गन्दी बातें करता है, कुटुम्बी जनोंसे लड़ाई-झगड़ा चलता है, दुराचारी उसके सहायक होते हैं, दूसरोंको ठगना उसका व्यापार है, चौर मित्र होते हैं, सज्जनोंको अपना वैरी मानता है । प्रायः जुएके व्यसनीकी यही दशा होती है।
___आचार्य पद्मनन्दिने जुएकी निन्दा करते हुए कहा है-'यह जुआ अपयशका घर है, चोरी, वेश्या आदि सब व्यसनोंका स्वामी है, सब विपत्तियोंका स्थान है, पापका बीज है, दुःखदायी नरकके मार्गों में अग्रगामी है, ऐसा जानकर कौन बुद्धिमान् जुआ खेलना स्वीकार कर सकता है।'
इसीसे वेश्या आदि व्यसनोंको भी विनाश निन्दाकी बहुलतासे असेवनीय कहा है। आचार्य पद्मनन्दिने वेश्याकी निन्दा करते हुए कहा है-'उन वेश्याओंके सिवाय दूसरा नरक
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