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विषयानुक्रमणिका
२७
१८४ १८६ १८७
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१९०
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१९१
१५६
१९२ १९६
१९७
१९८
१९९
२०४.२५५
२०४ २०५
२०६
श्रावकके उत्तर गुण
१४७ अचौर्याणवतके अतिचार सामान्यसे पांच अणुव्रत
१४८ स्वदार सन्तोषाणुवत स्वीकारकी विधि हिंसा आदिको स्थूल कहनेका कारण १५२ स्वदार सन्तोषीका स्वरूप अहिंसाणुव्रतका स्वरूप
१५३ स्त्रीसम्भोग दुःखरूप नव संकल्प
१५४ परस्त्रीरमणमें सुखका अभाव घरमें रहनेवाले गहस्थके अहिंसाणुव्रतका
स्वस्त्रीगमनमें भी हिंसा स्वरूप
१५५ ब्रह्मचर्यकी महिमा स्थावर जीवोंकी भी हिंसा न करनेका विधान १५५
ब्रह्माणुव्रतके अतिचार संकल्पी हिंसाके त्यागका उपदेश
परिग्रहपरिमाण अणुव्रतका स्वरूप हिंसा क्यों छोड़ना चाहिए ?
१५६
अन्तरंग परिग्रह अहिंसाणुव्रतका पालक कौन ?
१५७
बहिरंग परिग्रहके त्यागकी विधि अहिंसाणुव्रतके अतिचार
१५७
परिग्रहके दोष गाय-बैल आदिसे जीविका करनेका निषेध
१५९ परिग्रहपरिमाण अणुव्रतके अतिचार अतिचारका लक्षण
१६१ हिस्य-हिंसक आदिका लक्षण
१६२ पंचम अध्याय अहिंसावतको निर्मल रखनेकी विधि
१६२ तीन गुणवत अहिंसाका पालन कठिन नहीं है
१६४ दिग्विरतिव्रतका स्वरूप रात्रिमें चारों प्रकारके आहारका निषेध १६५ दिग्व्रतसे अणुव्रती भी महाव्रतीके समान रात्रिभोजनमें दोष
१६६ दिग्विरतिके अतीचार दृष्टान्त द्वारा रात्रिभोजन दोषकी महत्ता १६७ अनर्थदण्डवतका लक्षण अन्यमतोंमें भी रात्रिमें पात्रदान आदिका निषेध १६८ पापोपदेशका स्वरूप रात-दिन खानेवाले पशुके तुल्य
१६९ हिंसोपकरणदानका स्वरूप रात्रि भोजन न करनेवालोंका आधा
दुश्रुति-अपध्यानका स्वरूप जीवन उपवासपूर्वक
१६९ प्रमादचर्याका स्वरूप भोजनके अन्तराय
१७० अनर्थदण्ड विरतिके अतिचार मौनव्रतकी प्रशंसा
१७१ भोगोपभोग परिमाणवत मौनव्रतका उद्यापन
१७३ भोग और उपभोगका लक्षण मौन कब रखना आवश्यक है ?
१७४ भोगोपभोगपरिसंख्यानके पाँच भेद सत्याणुव्रतका स्वरूप
१७४ भोगोपभोगपरिमाणमें त्याज्य वस्तु सत्य-सत्य वचनका स्वरूप
१७७ अनन्तकाय और द्विदल त्याज्य असत्य-सत्य और सत्यासत्यका स्वरूप
१७८
भोगोपभोगपरिमाणके अतीचार असत्य-असत्यका स्वरूप
१७८ भोगोपभोगपरिमाणमें त्याज्य खरकर्म सत्याणुव्रतके अतिचार
१८० शिक्षाव्रत अचौर्याणुव्रतका लक्षण
देशावकाशिकव्रत बिना दिये हुए तणको भी ग्रहण करनेसे
देशावकाशिकव्रतके अतीचार बचौर्य-व्रतभंग
१८२ सामायिकका स्वरूप गड़े धनका स्वामी राजा
१८३ सामायिकका समय सन्देहमें अपना धन लेनेसे भी व्रतभंग १८३ सामायिकमें ध्येय
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