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________________ २०४ २२३ २२७ विषयप्ररूपणा में शब्दार्थगत समानता १८३ दोनों ग्रन्थगत विशेषता १६४ ५. षट्खण्डागम और सर्वार्थसिद्धि १६७ स०सि० में की गयी 'सत्संख्या' आदि सूत्र (१-८) की व्याख्या षट्खण्डागम पर आधारित १६८ अन्य कुछ उदाहरण उपसंहार ६. षट्खण्डागम और तत्त्वार्थवातिक २०८ धवलाकार द्वारा तवा० का 'तत्त्वार्थभाष्य' के नाम से उल्लेख २०६ त वा० के कर्ता द्वारा ष०ख० के अन्तर्गत खण्ड व अनुयोगद्वार __आदि का उल्लेख दोनों ग्रन्थगत समानता के कुछ उदाहरण ७. षटखण्डागम और आचारांग २२० प्रास्ताविक दोनों ग्रन्थगत मन:पर्यय और केवलज्ञान विषयक सन्दर्भो की समानता २२१ ८. षट्खण्डागम और जीवसमास २२२ प्रास्ताविक दोनों ग्रन्थगत समानता व विशेषता उपसंहार ६. षट्खण्डागम और पण्णवणा (प्रज्ञापना) २२८ पण्णवणा का संक्षिप्त परिचय दोनों ग्रन्थगत समानता दोनों ग्रन्थगत महादण्डक विषयक समानता और विशेषता दोनों ग्रन्थगत विशेषता दोनों ग्रन्यगत प्रश्नोत्तरशैली में विशेषता २४६ षट्खण्डागम और प्रज्ञापना में प्राचीन कौन २४८ उपसंहार १०. षट्खण्डागम और अनुयोगद्वारसूत्र अनुयोगद्वार के रचियता व रचनाकाल अनुयोगद्वार में चचित विषय का दिग्दर्शन और उसकी ष०ख० से समानता दोनों ग्रन्थों की विशेषता १०ख० मूल में जिसका स्पष्टीकरण नहीं है अनुयोगद्वार में उसका स्पष्टीकरण किया गया है २६६ ष०ख० की टीका धवला व अनुयोगद्वार २७० धवला में प्ररूपित विषयों की अनुयोगद्वार के साथ समानता उपसंहार २७५ विषयानुक्रमणिका | ४३ : Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001016
Book TitleShatkhandagama Parishilan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBalchandra Shastri
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1999
Total Pages974
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Ethics
File Size18 MB
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