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________________ १२२ वर्गणा के भेद-प्रभेद १२१ (१) वर्गणानिक्षेप (२) वर्गणानयविभाषणता ११२ वर्गणादि ८ अनुयोगद्वारगत दूसरे वर्गणाद्रव्यसमुदाहार में वर्गणाप्ररूपणा व वर्गणानिरूपणादि १४ अनुयोगद्वार १२२ वर्गणाप्ररूपणा में एकप्रदेशिक परमाणुपुद्गल वर्गणादि २३ वर्गणाओं का निर्देश १२२ दूसरे वर्गणानिरूपणा में भेद व भेदसंघात आदि से उत्पन्न होने का विचार १२३ वर्गणाध्र वाध्र वानुगम आदि शेष १२ अनुयोगद्वारों की प्ररूपणा ___न किये जाने विषयक शंका-समाधान १२३ बाह्य वर्गणा में शरीरिशरीरप्ररूपणा आदि ४ अनुयोगद्वार १२४ (१) शरीरिशरीरप्ररूपणा (२) शरीरप्ररूपणा (३) शरीरविस्रसोपचयप्ररूपणा १३१ (४) विस्रसोपचयप्ररूपणा १३२ में निगोद जीवों की उत्पति व मरण आदि का विचार له سه سا १३३ १३५-४२ षष्ठ खण्ड: महाबन्ध १. प्रकृतिबन्ध २. स्थितिबन्ध ३. अनुभागबन्ध ४. प्रदेशबन्ध १३८ १३६ १४० षटखण्डागम की अन्य ग्रन्थों से तुलना १४३ १४४ १४८ १५० १. षट्खण्डागम व कषायप्राभत दोनों ग्रन्थों में समानता दोनों ग्रन्थ में विशेषता २. षट्खण्डागम व मूलाचार दोनों ग्रन्थगत समानता उपसंहार मूलाचार का कर्तृत्व ३. षट्खण्डागम और दोनों में विषयविवेचन की समानता उपसंहार ४. षट्खण्डागम और कर्मप्रकृति १५१ १५६ १६० १६२ १८१ ४२ / षट्खण्डागम-परिशीलन Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001016
Book TitleShatkhandagama Parishilan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBalchandra Shastri
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1999
Total Pages974
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Ethics
File Size18 MB
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