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________________ ५२ भोजन त्यागके निमित्त विचारपूर्वक भोजन करनेका उपदेश विधिपूर्वक भोजनसे लाभ द्रव्यशुद्धि और भावशुद्धिमें अन्तर षष्ठ अध्याय सम्यक् तप आराधना दश लक्षण धर्म क्रोधको जीतने का उपाय उत्तम क्षमाका महत्त्व क्षमा भावनाकी विधि उत्तम मान अहंकारसे अनर्थ परम्परा गर्व नहीं करना चाहिए मानविजयका उपाय मार्दव भावना आवश्यक आर्जवधर्म मायाचारको निन्दा आर्जव शीलोंकी दुर्लभता माया दुर्गतिका कारण शौचधर्म लोभके आठ प्रकार लोभीके गुणोंका नाश लोभवित्रयके उपाय शौचकी महिमा लोभका माहात्म्य क्रोधादिकी चार अवस्था सत्यधर्म सत्यव्रत, भाषासमिति और सत्यधर्ममें अन्तर संयमके दो भेद अपहृत संयमके भेद मनको रोकनेका उपदेश इन्द्रिय संयमके लिए मनका संयम विषयोंको निन्दा मध्यम अपहृत संयम प्राणिपीडा परिहाररूप अपहृत संयम अपहृत संयम की वृद्धिके लिए आठ शुद्धि उपेक्षा संयमका लक्षण धर्मामृत (अनगार ) Jain Education International ४०९ ४०९ ४११ ४१२ ४१५ ४१६ ४१७ ४१७ ४१७ ४२० ४२१ ४२२ ४२३ ४२४ ४२५ ४२६ ४२७ ४२८ ४३० ४३० ४३१ ४३१ ४३२ ४३५ ४३६ ४३७ ४३७ ४३९ ४४० उपेक्षा संगमकी सिद्धिके लिए उपकी प्रेरणा त्यागधर्म आकिंचन्य धर्मीको प्रशंसा ब्रह्मचर्यं धर्म अनित्य भावना आत्मध्यानकी प्रेरणा लोक भावना बोधि दुर्लभ भावना उत्तम धर्मकी भावना धर्मको दुर्लभता अनुप्रेक्षा परममुक्ति ४२८ परीषह जय ४२९ परीषहका लक्षण ४४५ T ४४६ ४४८ अशरण भावना संसार भावना एकत्व भावना अन्यत्व भावना अशुचित्व भावना दारीरकी अशुचिता आस्रव भावना संवर भावना निर्जरा भावना परीषह जयकी प्रशंसा क्षुपरीष जय तृषापरीष जय शीतपरीप जय उष्णपरीषद् सहन दंशमसक सहन नाम्यपरीष जय अरतिपरीषह जय स्त्रीपरीषह सहन चर्यापरीषह सहन निषया परीपह ૪૪૪ शय्या परीषह आक्रोश परीषह परोपह याचना पर पह अलाभ परीपह For Private & Personal Use Only ४४९ ४५० ४५१ ४५२ ४५३ ४५५ ४५६ ४५८ ४६० ४६३ ४६३ ** ४६६ ४६७ ४६८ ४६९ ४७१ ४७३ ४७४ ४७५ ४७६ ४७७ ४७९ ४८० ४८० ४८१ ४८१ ४८१ ४८२ ४८२ ४८३ ४८३ ४८४ ४८४ ४८५ ४८५ ४८५ ४८६ www.jainelibrary.org
SR No.001015
Book TitleDharmamrut Anagar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAshadhar
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1977
Total Pages794
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Principle, & Religion
File Size19 MB
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