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भोजन त्यागके निमित्त
विचारपूर्वक भोजन करनेका उपदेश
विधिपूर्वक भोजनसे लाभ द्रव्यशुद्धि और भावशुद्धिमें अन्तर
षष्ठ अध्याय
सम्यक् तप आराधना
दश लक्षण धर्म
क्रोधको जीतने का उपाय
उत्तम क्षमाका महत्त्व
क्षमा भावनाकी विधि
उत्तम मान
अहंकारसे अनर्थ परम्परा
गर्व नहीं करना चाहिए
मानविजयका उपाय
मार्दव भावना आवश्यक
आर्जवधर्म
मायाचारको निन्दा
आर्जव शीलोंकी दुर्लभता
माया दुर्गतिका कारण शौचधर्म
लोभके आठ प्रकार
लोभीके गुणोंका नाश
लोभवित्रयके उपाय
शौचकी महिमा
लोभका माहात्म्य
क्रोधादिकी चार अवस्था
सत्यधर्म
सत्यव्रत, भाषासमिति और सत्यधर्ममें अन्तर
संयमके दो भेद
अपहृत संयमके भेद
मनको रोकनेका उपदेश
इन्द्रिय संयमके लिए मनका संयम विषयोंको निन्दा
मध्यम अपहृत संयम
प्राणिपीडा परिहाररूप अपहृत संयम अपहृत संयम की वृद्धिके लिए आठ शुद्धि उपेक्षा संयमका लक्षण
धर्मामृत (अनगार )
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उपेक्षा संगमकी सिद्धिके लिए उपकी प्रेरणा त्यागधर्म
आकिंचन्य धर्मीको प्रशंसा
ब्रह्मचर्यं धर्म
अनित्य भावना
आत्मध्यानकी प्रेरणा
लोक भावना
बोधि दुर्लभ भावना
उत्तम धर्मकी भावना
धर्मको दुर्लभता
अनुप्रेक्षा परममुक्ति
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परीषह जय
४२९ परीषहका लक्षण
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अशरण भावना
संसार भावना
एकत्व भावना
अन्यत्व भावना
अशुचित्व भावना
दारीरकी अशुचिता
आस्रव भावना
संवर भावना
निर्जरा भावना
परीषह जयकी प्रशंसा
क्षुपरीष जय
तृषापरीष जय
शीतपरीप जय
उष्णपरीषद् सहन
दंशमसक सहन
नाम्यपरीष जय
अरतिपरीषह जय
स्त्रीपरीषह सहन
चर्यापरीषह सहन
निषया परीपह
૪૪૪ शय्या परीषह
आक्रोश परीषह
परोपह
याचना पर पह
अलाभ परीपह
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