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विषय-सूची मैत्री आदि भावनाओंमें नियुक्त होनेकी प्रेरणा ३३९ उद्धिन्न और अच्छेद्य दोष
३८७ आठ प्रवचनमाताओंकी आराधनापर जोर ३४४ मालारोहण दोष गुप्ति सामान्यका लक्षण ३४४ उत्पादन दोष
३८८ मनोगुप्ति आदिके विशेष लक्षण
३४५ धात्री दोष त्रिगुप्ति गुप्तके ही परम संवर
३४८ दूत और निमित्त दोष मनोगुप्ति और वचनगुप्तिके अतिचार ३४९ वनीपक और आजीव दोष कायगुप्तिके अतिचार ३५० क्रोधादि दोष
३९२ पाँच समितियाँ ३५१ पूर्वसंस्तव और पश्चात् संस्तव दोष
३९३ ईर्यासमितिका लक्षण ३५२ चिकित्सा, विद्या और मन्त्रदोष
३९३ भाषासमितिका लक्षण
३५३ चूर्ण और मूलकर्म दोष एषणासमितिका लक्षण ३५४ अशन दोष
३९५ आदान निक्षेपण समिति ३५५ शंकित और पिहित दोष
३९५ उत्सर्ग समितिका कथन ३५६ म्रक्षित और निक्षिप्त दोष
३९६ शीलका लक्षण और विशेषता
३५८ छोटित दोष गुणोंका लक्षण और भेद ३६२ अपरिणत दोष
३९७ सम्यक्चारित्रका उद्योतन ३६४ साधारण दोष
३९७ चारित्रविनय + ३६५ दायक दोष
३९८ साधु बनने की प्रक्रिया
३६७ लिप्त दोष चारित्रका उद्यमन
३६९ विमिश्र दोष चारित्रका माहात्म्य
३७० अंगार, धूम, संयोजमान दोष संयमके बिना तप सफल नहीं
३७४ अतिमात्रक दोष तपका चारित्रमें अन्तर्भाव ३७५ चौदह मल
४०२ मलोंमें महा, मध्यम और अल्प दोष
४०२ पंचम अध्याय
बत्तीस अन्तराय आठ पिण्ड शुद्धियाँ ३७७ काक अन्तराय
४०३ उद्गम और उत्पादन दोष ३७८ अमेध्य, छर्दि और रोधन
४०४ अधःकर्म दोष
३७८ रुधिर, अश्रुपात और जानु अधःपरामर्श ४०४ उद्गमके भेद
३७९ जानु परिव्यतिक्रम, नाभिअधोनिर्गमन अन्तराय ४०४ औद्देशिक दोष
३७९ प्रत्याख्यात सेवन और जन्तुवध अन्तराय ४०४ साधिक दोष
३८० काकादि पिण्डहरण आदि अन्तराय
४०५ पूति दोष
भाजनसंपात और उच्चार मिश्र दोष ३८२ प्रस्रवण और अभोज्य गृहप्रवेश
४०५ प्राभूतक दोष ३८२ पतन, उपवेशन, सन्देश
४०६ बलि और न्यस्त दोष
३८३ भूमिसंस्पर्श आदि अन्तराय प्रादुष्कार और क्रीत दोष
३८४ प्रहार, ग्रामदाह आदि प्रामित्य और परिवर्तित दोष ३८५ शेष अन्तराय
४०७ निषिद्ध दोष ३८६ मुनि आहार क्यों करते है
४०८ अभिहत दोष
३८७ भूखेके दया आदि नहीं
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